लोन मोरेटोरियम के दौरान स्थगित ईएमआई में ब्याज पर छूट को लेकर सोमवार (5 अक्टूबर, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट आरबीआई की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। मोरेटोरियम के दौरान लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज के मामले में इसने ये भी कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से दायर हलफनामा याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए कई मुद्दों का समाधान नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि केंद्र के हलफनामे में मामले में उत्पन्न होने वाले कई मुद्दे से नहीं निपटा गया है। कोर्ट ने कहा कि आरबीआई या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा कोई परिणामी सर्कुलर जारी नहीं किया गया है। बकौल सुप्रीम कोर्ट कामत कमेटी की सिफारिशों पर भी विचार किया जाना है। रिपोर्ट को जरुरतमंद व्यक्तिों तक भी प्रसारित किया जाना है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया और यह बताने को कहा कि ब्याज माफी कैसे लागू करेंगे, यह जानकारी दें। कोर्ट ने कहा कि 12 अक्टूबर तक सभी हलफनामा दाखिल करें, अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरबीआई को भी व्यापक जवाब दायर करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सरकार के हलफनामे में कई मुद्दों पर बात नहीं हुई है। बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अक्टूबर तक हलफनामा देने का समय दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा था। दरअसल जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 3-जजों की बेंच ने कोविड 19 महामारी के कारण लाई गई 6 महीने की मोहलत के दौरान लोन पर ब्याज वसूलने से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की।

