गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर में अब एक इंच जमीन पर भी कर्फ्यू नहीं है, जबकि इस केंद्र शासित क्षेत्र (UT) के तीन बड़े नेताओं (नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूख अब्दुल्ला, उनके बेटे और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती) की रिहाई को लेकर उन्होंने कहा, “इनको मुझे थोड़ी न छोड़ना है। यह काम प्रशासन का है। और, जब उसे लगेगा कि स्थिति आ गई है, तब तीनों को छोड़ दिया जाएगा।”

शाह ने ये बातें साल 2020 के पहले इंटरव्यू में कहीं। गुरुवार को ABP News के एक कार्यक्रम में उन्होंने CAA, NRC और UCC से लेकर झारखंड हार, राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर तक विभिन्न चीजों पर खुल कर अपनी बात रखी। नागरिकता विवाद को लेकर मुख्य विपक्षी दल Congress पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री बोले- आखिर INC शासित सूबों में हिंसा क्यों नहीं भड़की? सब लोग समझ रहे कि आखिर देश में दंगे कौन कहा रहा है।

इस मुद्दे पर भ्रम और भय के माहौल को लेकर उन्होंने साफ किया, “देश में अभी NRC नहीं आ रहा है इसलिए इसे CAA से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार जब Uniform Civil Code भी लाएगी, तो चुपचाप नहीं लाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी।

इंटरव्यू में उन्होंने चंद दिन पहले झारखंड विधानसभा चुनाव हार को लेकर मुखर हो कबूला कि यह उनकी हार है। राम मंदिर मुद्दे पर भी उन्होंने दोहराया कि मंदिर बनेगा और वह बेहद भव्य होगा। गृह मंत्री के मुताबिक, “नौ फरवरी, 2020 से पहले तक राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा हो जाएगी। यह ट्रस्ट फैसला लेगा कि राम मंदिर कैसा होगा? वैसे, शाह यह भी बोले कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनना चाहिए, जो हमारे मैनिफेस्टो का भाग था।

आगे यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी के रीप्लेसमेंट हैं? उन्होंने जवाब में खुद को जूनियर बताया है और कि वह कार्यकर्ता हैं। और, उसी की हैसियत से काम करेंगे। वे लोग मोदी के नेतृत्व में पार्टी और देश को आगे बढ़ाएंगे।

बकौल शाह, “कश्मीर में अब स्थिति नियंत्रण में है। वहां एक इंच जमीन पर भी कर्फ्यू नहीं है।” फारूख, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को छोड़ने पर उन्होंने कहा- जम्मू कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुझे नहीं छोड़ना है। उन्हें वहां के प्रशासन को छोड़ना है। ऐसे में जब वहां के प्रशासन को लगेगा, वे निर्णय कर लेंगे।

बता दें कि जम्मू और कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर इन तीनों के साथ कुछ और अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिया गया था। हाल ही में पांच नेताओं को करीब चार महीने बाद छोड़ा गया है, पर इन तीनों को सुरक्षा समेत अन्य कारणों से फिलहाल नजरबंद कर के ही रखा गया है। देखें, अमित शाह का इस साल का सबसे पहले साक्षात्कारः