Death of children in Bihar due to AES: बिहार के मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की वजह से अब तक करीब सवा सौ बच्चों की मौत हो चुकी है। स्थानीय लोगों ने इस बीमारी का नाम चमकी बुखार भी दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन इतनी बड़ी तादात में बच्चों की मौत के बाद हालात का जायजा लेने बिहार पहुंचे थे। जब वे दिल्ली वापस लौटें तो पत्रकारों के सवालों से घिरकर खीझ गए और कहा कि प्रेस कांफ्रेंस नहीं कर रहे हैं। उन्हें जो कहना था उन्होंने मुजफ्फरपुर में एक घंटे के प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कह दिया। वहां की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। सरकार बच्चों की मौत रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

संसद भवन में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा, “हम अपना बेहतर कर रहे हैं। हर समय, हर घंटे स्थिति पर नजरें रखी जा रही है। वहां एक अत्याधुनिक बहु-विषयक अनुसंधान केंद्र बनाने के लिए तत्काल एक और उच्च स्तरीय टीम भेजने का निर्देश दिया गया है। मुजफ्फरपुर में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल काम कर रहा है। मुझे जो कहना था मैंने कह दिया है। वहां जिस चीज की जरूरत है, उसे उपलब्ध करवाया जा रहा है। हमनें राज्य सरकार को भी हर संभव सहायता देने का वादा किया है। हम जो कर सकते हैं, वह कर रहे हैं।” इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि मंगल पांडेय बैठक के दौरान क्रिकेट का स्कोर पूछ रहे थे, उस पर क्या कहना है? इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “उनसे जाकर पूछिए।”


बिहार में डॉ. हर्षवर्धन ने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के संग एसकेएमसीएच अस्पताल का दौरा किया था। हर्षवर्धन ने कहा कि बीमारी की वजह का पता लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अंतर विषयक अनुसंधान टीम की तत्काल जरूरत है। अनुसंधान टीम दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों के साथ काम करेगी और बीमारी का चक्र, पर्यावरण कारक और मेट्रोलॉजिकल डेटा समेत विभिन्न पहलुओं को देखेगी। अंतर विषयक टीम में दिल्ली के आईसीएमआर, बेंगलुरु के एनआईएमएचएएनएस, हैदराबाद के राष्ट्रीय पोषण संस्थान, पुणे के एनआईवी, चेन्नई के एनआईई और दिल्ली के एम्स के विशेषज्ञ शामिल होंगे।