इराम सिद्दीकी
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट चीफ सतीश अग्निहोत्री को रेलवे ने बर्खास्त कर दिया है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री के खिलाफ कई गंभीर आरोप थे। इसमें आधिकारिक पद का गलत इस्तेमाल और एक निजी कंपनी को अवैध तरीके से धन देना शामिल है। वहीं उनपर घूसघोरी का भी आरोप है।
लोकपाल अदालत के आदेश के बाद सीबीआई अब सतीश अग्निहोत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगी। उन्होंने जुलाई 2012 से अगस्त 2018 तक आरवीएनएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएसआरसी) के अध्यक्ष का पद भी संभाला था।
सतीश अग्निहोत्री पर कई सौ सैकड़ों करोड़ रुपये सरकारी धन का दुरुपयोग, डायवर्जन और गबन, और एक निजी कंपनी के साथ कथित रूप से बदले की भावना से काम करने का आरोप है। यह फैसला लोकपाल अदालत द्वारा 3 जून को सीबीआई जांच के आदेश देने के एक महीने बाद आया है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि इस संबंध में सतीश अग्निहोत्री से गुरुवार को कॉल या टेक्स्ट मैसेज से संपर्क किया गया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। इससे पहले लोकपाल के समक्ष सुनवाई के दौरान उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया था और शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
बता दें कि सतीश अग्निहोत्री भारतीय रेलवे इंजीनियर्स सेवा के 1982 बैच के अधिकारी है। वो 2018 में सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन उन्हें जुलाई 2021 में एमडी, एनएचएसआरसीएल के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं 30 सितंबर 2021 को लोकपाल को शिकायत मिली कि सतीश अग्निहोत्री और रेलवे के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने आरवीएनएल में अपने कार्यकाल के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और एक निजी कंपनी कृष्णापट्टनम रेल कंपनी लिमिटेड (KRCL) को अनधिकृत तरीके से 1,100 करोड़ रुपये डायवर्ट किया।
आरोप के मुताबिक बदले में अग्निहोत्री को अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि का इंतजार किए बिना उनकी सेवानिवृत्ति के बाद एनईसीएल के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था। साथ में आरोप यह भी है कि उन्हें दिल्ली में एक घर आवंटित किया गया था। सीबीआई को इस मामले में छह महीने के भीतर या 12 दिसंबर, 2022 से पहले लोकपाल कार्यालय को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।