मई के पहले हफ्ते में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी की नो पैट्रोलिंग ज़ोन में भारत और चीन की फौजों के बीच झड़प होते-होते रह गई। नो पैट्रोलिंग ज़ोन मायने वह जगह है जहां दोनों ही सेनाएं गश्त नहीं करतीं। यह जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने दी। उसने बताया कि सौभाग्य से दोनों ही ओर के जवान मौके पर से हट गए और झड़प टल गई।

उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी में पिछले साल बड़ा खूनखराबा हुआ था और भारतीय पक्ष के बीस जवानों की मौत हो गई थी। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के अनुसार यह जगह अंग्रेजी अक्षर का वाई का अक्षर बनाती है। पिछले साल संघर्ष के बाद सहमति हुई थी कि दोनों पक्ष डेढ़-डेढ़ किमी पीछे हट जाएं। तभी से यहां दोनों पक्ष गश्त नहीं करते। उस समय दोनों पक्षों की सहमति से पैदल गश्त पर 30 दिन की रोक लगाई गई थी। बाद में यह रोक जारी रही कि नहीं, इस बारे में कोई सूचना नहीं है।

सहमति के बाद दोनों पक्षों के जवान यदा-कदा यह जांच करने के लिए आगे बढ़ कर आते रहे हैं कि कोई पक्ष समझौते को तोड़ कर प्रतिबंधित क्षेत्र में गश्त तो नहीं कर रहा। समाचार पोर्टल न्यूज़-18 के अनुसार चीन ने नो पैट्रोल ज़ोन के पीछे अपनी कुमुक का जमावड़ा किया हुआ है और उसने पिछले साल से अब तक इस जमावड़े में कोई कमी नहीं की है। शनिवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि देश की उत्तरी सीमा पर भारतीय फौजें मजबूती से खड़ी हैं। हम मुस्तैद हैं और प्रतिपक्षी को एक इंच जमीन भी कभी न हड़पने देंगे।

भारतीय फौज को सीमा की पवित्रता की रक्षा की जिम्मदारी मिली है और वह इसके लिए कभी भी लड़ने से पीछे न हटेगी। उन्होंने कहा कि हमको सतत मुस्तैदी रखनी होगी और अगर किसी ने कोई दुस्साहसिक हरकत की तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

चीन की सेना, पीएलए भारत सीमा पर पठारी जमीन के मद्देनजर अपने हल्के टैंक, अत्याधुनिक तोपें, ड्रोन और दूसरे साजोसमान तैनात कर रहा है। ऐसी रिपोर्ट्स के बारे में सवाल पूछे जाने पर जनरल रावत ने कहा कि भारत ने भारी टैंक लगा रखे हैं। रणनीतिक पोज़ीशन के लिहाज से भारतीय सेना बेहतर जगह खड़ी हैं।