मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में एस जयशंकर एक बार फिर विदेशमंत्री बने हैं। लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए कार्यभार संभालते हुए उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकताएं रहेंगी कि चीन के साथ भारत के सीमा विवाद का समाधान हो और बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से सालों से चल रहे आतंकवाद का निपटारा हो।

केंद्रीय मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा पर चल रहे मुद्दों का समाधान खोजने पर रहेगा जो अभी भी जारी हैं। पाकिस्तान के साथ हम सालों पुराने आतंकवाद के मुद्दे का समाधान खोजना चाहेंगे।” एस जयशंकर ने कहा कि उन्हें यकीन है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति बहुत सफल होगी।

क्या है विदेश मंत्रालय का प्लान?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का जिक्र करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया में यह भावना है कि भारत को UNSC की सीट मिलनी चाहिए लेकिन देश को इसके लिए इस बार कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा नेतृत्व देश की पहचान को दुनिया में बढ़ाएगा।

एस जयशंकर ने कहा कि एक देश में और खासकर लोकतंत्र में यह बहुत बड़ी बात कि एक सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है। इससे दुनिया में यह संदेश जाएगा कि भारत में बेहतर राजनीतिक स्थिरता है। उन्होंने कहा कि जहां तक ​​पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ संबंध अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं।

दुनियाभर में भारत के प्रभाव और धारणा के बारे में बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा, “हमारे लिए भारत का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। न केवल हमारी अपनी नजर में बल्कि दुनिया की नजर में भी ऐसा ही है। उन्हें लगता है कि भारत वास्तव में उनका मित्र है और उन्होंने देखा है कि संकट के समय में यदि कोई एक देश ग्लोबल साउथ के साथ खड़ा है, तो वह भारत है।”

तीसरी बार विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बारे में उन्होंने कहा, “एक बार फिर विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलना बहुत बड़ा सम्मान है।”