राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी कार्यक्रम के मौके पर कहा कि राम मंदिर का बनना आवश्यक है। इसके निर्माण से देश की एकता और सद्भावना बढ़ेगी। मोहन भागवत के इस बयान के बाद मोदी सरकार के मंत्री एसपी शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संसद इस पर विचार करेगी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “सर संघचालक मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर अपनी अभिव्यक्ति प्रकट की है। हमलोग भी कभी इसके विरोध में नहीं रहे हैं। हम तो साफ तौर पर यह कहा करते थे कि अगर आपसी समझौता हो सकता है, अदालत का निर्णय हो सकता है, तो इसका निर्माण होगा। सुप्रीम कोर्ट अभी इस मामले में हस्तक्षेप किए हुए है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संसद इस पर विचार करेगा।”
मोदी सरकार के मंत्री के इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी टिप्पणी की है। एक यूजर ने कहा, “धार्मिक परम्परा और आस्था के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप करने का अधिकार ही संसद द्वारा खत्म किया जाना चाहिए।”
धार्मिक परम्परा और आस्था के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप करने का अधिकार ही संसद द्वारा खत्म किया जाना चाहिए।
— मिथिलेश सिंह (@mithileshansing) October 18, 2018
विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में अपने वार्षिक संबोधन में भागवत ने कहा, ‘‘राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था। राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता। हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। राष्ट्र के ‘स्व’ के गौरव के संदर्भ में अपने करोड़ों देशवासियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि पर राष्ट्र के प्राणस्वरूप धर्ममर्यादा के विग्रहरूप श्रीरामचन्द्र का भव्य राममंदिर बनाने के प्रयास में संघ सहयोगी है। श्रीराम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है। मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा।’’
उन्होंने कहा कि, “कुछ तत्व नई-नई चीजें पेश कर न्यायिक प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं और फैसले में रोड़े अटका रहे हैं। बिना वजह समाज के धैर्य की परीक्षा लेना किसी के हित में नहीं है। राष्ट्रहित के इस मामले में स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक राजनीति करने वाली कुछ कट्टरपंथी ताकतें रोड़े अटका रही हैं। राजनीति के कारण राम मंदिर निर्माण में देरी हो रही है।’’ (एजेंसी इनपुट के साथ)