एनआरसी लागू कर भारत से घुसपैठियों को बाहर करने की बात उठाने वाली केंद्र की भाजपा सरकार ने पिछले 5 सालों में करीब 15 हजार लोगो को नागरिकता दी है। राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित प्रतिक्रिया में यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, भारत-बांग्लादेश के बीच 2015 में हुए भूमि सीमा समझौते (लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट- एलबीए) के जरिए दोनों देशों के बीच जमीन की अदला-बदली की गई थी। इसी के तहत 14, 864 बांग्लादेशियों को नागरिकता प्रदान की गई।
गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ समय पहले ही कहा था कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुस्लिमों को पिछले 5 सालों में भारत की नागरिकता दी गई है। हालांकि, गृह राज्य मंत्री का संसद में दिया यह जवाब शाह के दावे के विपरीत है।
एलबीए हटाएं तो बांग्लादेश नहीं, पाकिस्तान के लोगों को सबसे ज्यादा नागरिकता मिलीः गृह राज्य मंत्री की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, अब तक कुल 18,999 लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है। इसमें से 15,036 लोग बांग्लादेश से हैं। चूंकि, 14,864 लोग पहले से ही भारतीय क्षेत्र में रह रहे थे, इसलिए इन्हें एलबीए पर हस्ताक्षर करने के बाद नागरिकता दे दी गई। यानी 2105 से 2020 के बीच केवल 172 बांग्लादेशियों को व्यक्तिगत आधार पर नागरिकता दी गई।
अगर एलबीए के आंकड़ों को निकाल दें तो गृह मंत्राल के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में 2,935 पाकिस्तानी, 914 अफगान, 113 श्रीलंकाई और एक म्यांमार राष्ट्रीय को भारतीय नागरिकता दी गई।
एनआरसी के जरिए अवैध घुसपैठियों को निकालने की योजना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नवंबर 2019 को संसद में कहा कि देशभर में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) लागू किया जाएगा। राज्यसभा में उन्होंने कहा था कि इसकी वजह से देश में किसी भी संप्रदाय के व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है। असम में हुई एनआरसी की कवायद असम समझौते का हिस्सा है और देशभर में एनआरसी लाना यह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में शामिल था। इसी आधार पर हम चुनकर दोबारा सत्ता में आए हैं। सरकार देश के एक-एक इंच से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की पहचान करेगी और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उन्हें बाहर करेगी।