भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। पिछले दो हफ्ते से देश में लगभग हर दिन नए केसों और मौतों के रिकॉर्ड बन रहे हैं। माना जा रहा है कि चुनावों की वजह से कोरोना के केस तेजी से बढ़े हैं। राजनीतिक दलों ने भी इस दौरान बड़ी संख्या में भीड़ जुटाई। हालांकि, अब इस मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि भारत जैसे देश में चुनाव नहीं रुकवाए जाते। उन्होंने कोरोनावायरस को भी साझा समस्या और वैश्विक संकट करार दिया।
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा, “जब कोई महामारी आती है तो तर्क और सवाल होते हैं। लोगों ने चुनाव के बारे में कहा है। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। लोकतंत्र में हम चुनाव नहीं रोक सकते। उन्होंने आगे कहा, “आखिरी बार जब हमने चुनाव रोके थे, तब वह अलग दौर था। कुछ दशक पहले जब मैं काफी युवा था, लेकिन हम में से कोई भी उस तरह की याद से जुड़ा नहीं रहना चाहता।”
जयशंकर ने कोरोनावायरस महामारी के बीच चुनाव कराने पर हो रही आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा कि लोग इससे सिर्फ अपने हित साध रहे हैं और अब इसे रुकना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम काफी तार्किक समाज हैं। इसलिए इस तरह से खुद की बात साबित करने की कोशिश चलती रहेगी। कोई कहेगा कि भीड़ ने ऐसा किया है। कोई कहेगा कि एक व्यक्ति या इस नेता ने यहां मास्क नहीं पहना। कोई कहेगा कि इस नेता ने भी मास्क नहीं पहना। मेरे हिसाब से इन सब चीजों पर रोक लगनी चाहिए।
भारत में कोरोना के बढ़ते संकट को लेकर जयशंकर ने कहा कि यह एक साझा समस्या है। उन्होंने कहा कि पिछले साल या अभी भी जब यह आई है, तो जब दवाओं की बात हुई, तब हमने हाइड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन, पैरासिटामॉल जैसी दवाएं दीं। हमने यह अमेरिका को दीं, सिंगापुर को दीं। यूरोपियन देशों को दीं। हमने अपनी मेडिकल टीम कुवैत भेजी। हमने कुछ देशों को वैक्सीन भी दी। अब आप जिसे मदद कहते हैं, हम उसे दोस्तों का समर्थन कहते हैं।
जयशंकर ने साफ लफ्जों में कहा कि इस स्थिति को ऐसे नहीं देखना चाहिए, जैसे भारत मदद स्वीकार कर रहा हो। यह गलत तरीका है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने कभी इस तरह का वैश्विक संकट नहीं देखा और इसके लिए लोगों का साथ आना जरूरी है। इसमें किसी तरह से फायदा पाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।