ग्लोबल वार्मिंग के बाद माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसके महीन कण हवा और पानी के अलावा मिट्टी में भी मिल रहे हैं और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल रहे हैं। माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले इस नुकसान पर एक आईपीएस अफसर ने चिंताई है और साथ ही ये भी बताया है कि कैसे मामूली बदलावों से तस्वीर बदली जा सकती है।
एक न्यूज वेबसाइट के आर्टिकल को रिट्वीट करते हुए आईपीएस अधिकारी अंकिता शर्मा ने लिखा, ”अपनी खुद की पानी की बोतल लेकर जीवनशैली में एक छोटा सा बदलाव कर ये तस्वीर बदली जा सकती है।” 2018 बैच की आईपीएस लॉ इनफोर्समेंट ऑफिसर हैं और सोशल मीडिया के जरिए वे अक्सर विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय साझा करती रहती हैं।
माइक्रोप्लास्टिक के दुष्प्रभाव से इंसान ही नहीं, पशु-पक्षी तक नहीं बचे रह सके हैं। माइक्रोप्लास्टिक कण मसूड़े और त्वचा में जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, आंख में चिपक कर कार्निया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सौंदर्य उत्पादों में मौजूद माइक्रोबीड्स त्वचा के छोटे-छोटे उभार और आगे के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। वहीं, हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक कण सांस के जरिये फेफड़ों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक, ये कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इसको लेकर ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की सामने आई स्टडी में खुलासा हुआ है कि बच्चों के खिलौने, बेड और सॉफ्ट टॉयज सिंथेटिक मटेरियल्स से बने होते हैं और इन कणों के शरीर में पहुंचने की रफ्तार भी बहुत ज्यादा है। साथ ही इसका नुक्सान का असर भी काफी व्यापक बताया जा रहा है।
रोजाना हजारों माइक्रोप्लास्टिक हमारे अंदर कर रहे प्रवेश
स्टडी के मुताबिक, अलग-अलग माध्यमों से शरीर में पहुंचकर ये मेटाबॉलिज्म और इम्युनिटी पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। वहीं, ये रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा ये कैंसर के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। स्टडी में यह भी पाया गया है कि ये काफी तेजी से इंसान के शरीर को नुकसान पहुंचाता है। रिसर्च में सामने आया है कि रोजाना करीब 7 हजार माइक्रोप्लास्टिक कण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।