पाकिस्तान से दुबई और नेपाल के रास्ते गैर कानूनी तरीके से भारत आई सीमा गुलाम हैदर की सुर्खियों के बीच बांग्लादेश के युवक मोहम्मद रहमान को 21 साल बाद वापस घर भेजा जा रहा है। बॉर्डर पार कर पश्चिम बंगाल आ गए मानसिक तौर पर विकलांग युवक के बारे में कोरोना महामारी के दौरान एक गैर सरकारी संगठन (NGO) को पता चला था। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश का 36 वर्षीय नागरिक रहमान शुक्रवार (21 जुलाई) को अपने घर पहुंच पाएगा।
साल 2002 में भटकते हुए बॉर्डर पार कर भारत आ गया था रहमान
साल 2002 में रास्ता भटक कर बॉर्डर पार कर बांग्लादेश से भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में आया रहमान सिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित है। सिजोफ्रेनिया के मरीज एक तरह की काल्पनिक दुनिया या भ्रम की हालत में रहते हैं। उनका नजरिया वास्तविक दुनिया से बिलकुल अलग होता है। रहमान को फिर से उसके घर वालों से मिलवाने में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन नाम के एक एनजीओ ने अहम भूमिका निभाई है। फाउंडेशन पिछले तीन दशक से मानसिक रूप से बीमार लोगों को उनके घरवालों से दोबारा मिलवाने में मदद करती है।
जून में कागजात की कमी से बांग्लादेश वापस नहीं जा पाया था रहमान
दरअसल, 29 जून को ही रहमान को बांग्लादेश वापस जाने की मंजूरी सरकार से मिल गई थी। उसको भारत-बांग्लादेश सीमा पर फुलबारी रोड क्रॉसिंग को पार कर बांग्लादेश जाने की इजाजत मिली थी। उस वक्त कागजात पूरे नहीं होने के कारण रहमान अपने परिवार वालों से नहीं मिल पाया था। अब आखिरकार 21 जुलाई को रहमान की उसके परिवार से मुलाकात होने की पूरी उम्मीद है।
रहमान को घर वालों से मिलवाने साथ जा रहे हैं श्रद्धा फाउंडेशन के सदस्य
रहमान पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाइगुड़ी से रवाना हो चुका है। ट्रेन के जरिए कुछ ही दूरी तय करके वह फुलबारी बॉर्डर पहुंचने वाला है। रहमान ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं बहुत खुश हूं। रहमान के साथ श्रद्धा फाउंडेशन के लोग भी उनके परिवार वालों से मिलवाने के लिए जा रहे है। श्रद्धा फाउंडेशन अब तक 10 हजार से अधिक बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलवा चुका है।
कोरोना महामारी के दौरान बंगाल की सड़क पर पड़ा मिला था रहमान
कोरोना महामारी के दौरान रहमान पश्चिम बंगाल की एक सड़क पर अकेला पड़ा हुआ मिला था। श्रद्धा फाउंडेशन के सदस्य उस तक पहुंचे तो वह अखबार पढ़ते हुए खुद से ही कुछ बातें कर रहा था। फाउंडेशन की ओर से उससे बात करने की कोशिश की गई तो वह टूटी-फूटी बंगाली में अपने बारे में थोड़ा-बहुत ही बता पाया। उसके बाद रहमान को शेल्टर होम में रखा गया। वहां उसका इलाज कर उसे ठीक करने की कोशिश की गई।
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बांग्लादेश में रहमान के परिवार में ईद जैसा माहौल, सबको मिलने का इंतजार
थोड़े समय बाद श्रद्धा फाउंडेशन ने बांग्लादेश में अपने जानकारों से रहमान के परिवार वालों का पता लगवाया। जब रहमान के घर वालों से संपर्क हुआ तो उन्होंने बताया कि रहमान 2002 से ही गायब था। परिवार वालों ने तो रहमान को मरा हुआ मान लिया था। परिवार वालों ने बताया कि रहमान को बचपन से ही मानसिक परेशानी थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसका ठीक से इलाज नहीं हो पाया था। बांग्लादेश से रहमान के परिवार ने बताया कि वे सब बहुत खुश हैं और उनके घर पर ईद जैसा माहौल है। सभी लोग रहमान से मिलने का इंतजार कर रहे हैं।