अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी का जिक्र कर पीडीपी ने बुधवार को संकेत दिया कि वह भाजपा के साथ सरकार गठन पर विचार-विमर्श के खिलाफ नहीं है। वहीं भाजपा ने इसका स्वागत किया। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात की। उन्होंने बाद में कहा कि राज्य में निर्णायक लेकिन खंडित जनादेश मिला है जो विकास की बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनौती और अवसर दोनों है।
महबूबा की पीडीपी 87 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और उसके पास 28 विधायक हैं। पीडीपी प्रमुख ने सरकार बनाने के मुद्दे पर बातचीत के लिए आमंत्रण पर राज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा के नेता राज्यपाल से गुरुवार को मुलाकात करेंगे। भाजपा को प्रदेश में 25 सीटें मिली हैं। महबूबा ने भाजपा को यह परोक्ष संकेत दिया कि दोनों दलों के साथ आने के रास्ते में आने वाले विवादित मुद्दों पर दोनों विचार-विमर्श कर सकते हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा-राजग सरकार के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। मोदी के लिए, यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। जम्मू कश्मीर नेहरू से लेकर अब तक किसी भी प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहा है। जो भी गठबंधन होता है, उसे लोगों के दिए गए जनादेश का सम्मान करना चाहिए और यह मेल-मिलाप के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा-जब तक इस सिद्धांत को साथ लेकर नहीं चला जाता, तब तक किसी भी सरकार का गठन बेकार होगा।
राजग और कांग्रेस नेतृत्व दोनों को जनादेश से मिले अवसर की चर्चा करते हुए महबूबा ने मोदी के विकास के ‘सपने’ का संदर्भ दिया और बेरोजगारी की समस्या का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘लेकिन जमीनी स्तर पर शांतिपूर्ण माहौल कायम नहीं होने तक विकास नहीं हो सकता। विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक कि वाजपेयी जी की राजनीतिक प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाता’।
महबूबा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांति के लिए, वाजपेयी ने एक राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की थी। वाजपेयी जी पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम पर सहमत हुए थे। उन्होंने हुर्रियत के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी। उन्होंने उस समय पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू की थी जब लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री थे। हमें उदार आर्थिक पैकेज मिला। यूपीए ने इसे कुछ समय तक जारी रखा और फिर इसे रोक दिया।
उनकी टिप्पणी का स्वागत करते हुए भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा-दोनों दलों के बीच एक आरंभिक संपर्क स्थापित किया गया है। उनकी टिप्पणियों से औपचारिक बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम मीडिया के जरिए मुफ्ती के रुख की सराहना करते हैं। हमें औपचारिक रूप से बातचीत शुरू होने की प्रतीक्षा है।
वोहरा के साथ चर्चा की विस्तृत जानकारी दिए बिना महबूबा ने कहा-पीडीपी की प्राथमिकता सरकार गठन के लिए बहुमत जुटाने में जल्दबाजी नहीं करने की है। सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने मीडिया में आई उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि पीडीपी के पास 55 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी सरकार क्यों नहीं बना रही है, उन्होंने कहा कि सवाल भाजपा, नेशनल कांफ्रेंस या कांग्रेस का नहीं बल्कि सवाल पीडीपी के मेल-मिलाप वाले एजंडे का है। अगर नेतृत्व इस अवसर के अनुरूप चलता है और जनादेश स्वीकार करता है, तो सरकार का गठन 15 मिनट की बात है। उन्होंने कहा कि अगर ‘अवसर’ का उपयोग किया जाए, तो जम्मू-कश्मीर एक ‘मॉडल’ बन सकता है। इस संदर्भ में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के उस कथन को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह राज्य दुनिया के लिए एक ‘मिसाल’ बन सकता है।
प्रदेश इकाई प्रमुख जुगल किशोर शर्मा और वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह सहित जम्मू कश्मीर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को राज्यपल एनएन वोहरा से मिलेगा और सरकार गठन को लेकर अपनी पार्टी की योजना पर उनसे चर्चा करेगा। सूत्रों ने बताया कि पीडीपी के साथ औपचारिक वार्ता के अलावा मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के साथ अनौपचारिक वार्ता भी टेलीफोन पर हुई है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि भाजपा नेतृत्व निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं के साथ भी वार्ता कर रहा है।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि राज्य को एक स्थिर सरकार मुहैया कर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने में महबूबा की टिप्पणियां मदद करेंगी। भाजपा को उम्मीद है कि पीडीपी के साथ वार्ता दो दिनों में शुरू हो जाएगी। माधव ने कहा कि सरकार गठन के लिए औपचारिक वार्ता करने में भाजपा को कुछ और वक्त लगेगा।
पीडीपी के साथ बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद रखने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि वार्ता उस स्तर तक नहीं पहुंची है। भाजपा और पीडीपी के बीच उठने वाले अन्य विवादास्पद मुद्दों पर उन्होंने कहा कि एक सौहार्दपूर्ण व्यवस्था पाना असंभव नहीं है। जो कुछ भी ढांचा और संरचना होगी, हमें उसके लिए इंतजार करना होगा। भाजपा नेताओं ने कहा है कि राज्य के लिए पार्टी की अपनी उम्मीदें और रोडमैप है, सरकार गठन के लिए उनसे गठजोड़ करने से पहले पार्टियों के बीच उन पर चर्चा होगी।
याद आए वाजपेयी:
जम्मू कश्मीर में शांति के लिए, वाजपेयी ने एक राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की थी। वाजपेयी जी पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम पर सहमत हुए थे। उन्होंने हुर्रियत के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी। उन्होंने उस समय पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू की थी जब लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री थे। हमें उदार आर्थिक पैकेज मिला। यूपीए ने इसे कुछ समय तक जारी रखा और फिर इसे रोक दिया।
–महबूबा मुफ्ती, पीडीपी प्रमुख
इंतजार में भाजपा:
महबूबा की टिप्पणी का स्वागत करते हुए भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि दोनों दलों के बीच एक आरंभिक संपर्क स्थापित किया गया है। उनकी टिप्पणियों से औपचारिक बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम मीडिया के जरिए मुफ्ती के रुख की सराहना करते हैं। हमें औपचारिक रूप से बातचीत शुरू होने की प्रतीक्षा है।
कांग्रेस ने कहा : सावधान
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख सैफुद्दीन सोज ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद जम्मू में कहा-मेरे हिसाब से सरकार के गठन पर पहला कदम पीडीपी को उठाना चाहिए जो जम्मू कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। इसके बाद कांग्रेस राज्य के लोगों को अपनी स्थिति से अवगत कराएगी। राज्य कठिन दौर से गुजर रहा है और सरकार गठन के मुद्दे पर दलों को सावधानी बरतनी चाहिए।