मेघालय हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुदीप रंजन सेन ने कहा, “भारत को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनने दें। किसी को भी भारत को एक और इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, अन्यथा यह भारत और दुनिया का अंत साबित होगा।” जस्टिस एसआर सेन की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में भी सियासी हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस चेतावनी को हल्के में मत लें। वहीं, फारूख अब्दुला ने कहा कि यह एक सेक्युलर देश है।

गिरिराज सिंह ने कहा, “जज की टिप्पणी को गंभीरता से लेनी चाहिए। मैं तो उनको धन्यवाद देता हूं। स्वागत करता हूं कि उन्होंने सच कहने की परंपरा चालू की है। सच तो सभी कहते हैं लेकिन इस सच पर लोगों की जुबान बंद हो जाती है। उन्होंने जो 1947 की बात कही, कई लोग इस चीज की मांग करते रहे कि जिन्ना ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया तो निश्चित रूप से आज ये ठगा हुआ महसूस हो रहा है।”

वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुला ने कहा, “यह एक सेक्युलर देश है और सेक्युलर रहेगा। यह एक लोकतांत्रिक देश है। जो कुछ भी इधर-उधर की बात करना चाहते हैं, जैसा वे चाहते हैं, कह सकते हैं। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमारे पूर्वजों ने इसे एक सेक्युलर राष्ट्र बनाया और हमें देश के सेक्युलर चरित्र को सुरक्षित बनाए रखना है। यह अनेकता में एकता का सवाल है।”

गौरतलब है कि जस्टिस सेन ने असम के एनआरसी अपडेशन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे बहुत सारे विदेशी भारतीय बन जाएंगे और असली भारतीय छूट जाएंगे। उन्होंने आगे कहा, “केंद्र सरकार को एक कानून लाना चाहिए ताकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम और आदिवासी जब तक चाहें तब तक भातर में रह सकें। मैं आश्वस्त हूं कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली ही सरकार ही इसे गंभीरता से समझेगी।”

जस्टिस एसआर सेन ने यह भी कहा, “पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया लेकिन भारत सेक्युलर राष्ट्र बना रहा। भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। यहां पहले हिंदू राजाओं का शासन था। बाद में मुगल आए और यहां कब्जा कर शासन करना शुरू कर दिया। जबरन धर्मांतरण करवाए गए।”