उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का नाम बदलकर पंडित नाथूराम गोडसे नगर करने की मांग की जाती रही है। इसी तरह गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर का नाम बदलने की मांग क जाती रही है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस बाबत प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने तीनों जिलों के अधिकारियों से इस मामले में तुरंत जवाब देने को कहा है। जिलाधिकारियों को राजस्व विभाग की तरफ से लिखे पत्र के मुताबिक प्रदेश सरकार के एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) में हापुड़ का नाम महंत अवैद्यनाथ नगर और गाजियाबाद का नाम महंत दिग्विजय नगर के रूप में करने का संदर्भ है।

इसी बीच सूत्रों ने बताया कि हापुड़ जिला प्रशासन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैधनाथ के नाम पर जिले का नाम बदलने अनुरोध को ठुकरा दिया। हालांकि पत्र में यह नहीं बताया गया कि मुजफ्फरनगर का नाम किस पर बदलने की मांग की जा रही है। टीओआई में छपी खबर के मुताबिक पिछले चार महीनों में तीनों जिलाधिकारियों को इस बाबत तीन बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है। इससे जिला प्रशासन की चिंता खासी बढ़ गई है। राजस्व विभाग का कहना है कि जिला अधिकारिओं को तय समय सीमा के भीतर मामले (लोगों या संगठनों द्वारा की गई शिकायत या मांग) का निपटारा करने की जरुरत है। विभाग ने आखिरी बार पत्र दो दिसंबर को जारी किया था।

मामले में एक अधिकारी ने बताया कि अगर समय सीमा के भीतर इन मामलों का निपटारा नहीं किया जाता तो ये लंबित मुद्दे बने रहेंगे। इसके अलावा बाद में सीएम योगी की समीक्षा बैठकों में इस पर स्पष्टीकरण भी देना होगा। अधिकारी ने आगे कहा, ‘जब भी ऐसी कोई मांग या अनुरोध होता है तो सरकार जिला प्रशासन से राय मांगती है। सरकार ऐतिहासिक तथ्यों और अन्य विचारों के आधार पर ही निर्णय लेती है।’

प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि वो ‘जनसुनवाई पोर्टल’ पर उन्हें ऐसी कई मांगे मिलती रहती है। बाद में इन्हें IGRS को भेज दिया जाता है। एक सूत्र ने बताया कि, ‘यह कहना मुश्किल है कि किस ने या किस संगठन नाम बदलने की मांग की है। हालांकि मेरठ में अखिल भारती हिंदू महासभा होने का दावा करने वाले एक संगठन ने 15 नवंबर को गोडसे के नाम पर मेरठ का नाम बदले की मांग की थी। हालांकि संगठन अध्यक्ष व्रतधर रामानुज स्वामी का कहना है कि उन्हें कभी ऐसा मुद्दा नहीं उठाया।’