कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच देश में तेज होते किसान आंदोलन के मुद्दे पर विदेशी सेलिब्रिटीज और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बोलने के बाद बुधवार को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। इसमें मंत्रालय ने कहा है कि कृषि सुधारों के बारे में देश के किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं और विरोध प्रदर्शन के बारे में टिप्पणी करने की जल्दबाजी से पहले तथ्यों की जांच परख की जानी चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने अपना बयान सोशल मीडिया पर भी जारी किया। इसमें आगे कहा गया, ‘‘ऐसे मुद्दों पर मशहूर हस्तियों खास तौर पर सिलेब्रिटीज द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही और न ही जिम्मेदाराना होती है।’’

बता दें कि विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कई मशहूर हस्तियों ने भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में ट्वीट किया है। रिहाना ने सीएनएन के एक लेख के साथ #FarmersProtest के साथ ट्वीट किया, ‘‘हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’’ रिहाना के ट्विटर पर दस करोड़ फॉलोवर हैं और उनके इस ट्वीट को एक घंटे में हजारों लोगों ने रीट्वीट किया। दूसरी तरफ ग्रेटा थनबर्ग ने भी यही खबर शेयर कर लिखा, “हम भारत में जारी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं।”

इसे लेकर भारतीय विदेश ने मंत्रालय ने कहा कि भारत की संसद ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा सुधारवादी विधेयक पारित किया है। इसमें कहा गया है कि कुछ निहित स्वार्थी समूहों ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का प्रयास किया। बयान में कहा गया है कि, ‘‘हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इन प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक आचार और राजनीति के संदर्भ और सरकार के संबंधित किसान समूहों से गतिरोध दूर करने के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’’

मंत्रालय ने बयान के जरिए अपील की कि ऐसे मामलों में कोई भी टिप्पणी करने की जल्दबाजी से पहले तथ्यों को परखना चाहिए और मुद्दों के बारे में उपयुक्त समझ बनानी चाहिए।