दिल्ली पुलिस ने हाल ही में आठ सदस्यीय एक गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चला रहा था। यह गिरोह पिछले छह साल से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में सक्रिय था। गिरोह के कुछ सदस्य अस्पतालों में काम कर रहे थे, जिससे उन्हें संभावित दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की पहचान करने में मदद मिलती थी। पुलिस ने इस रैकेट पर नजर रखी थी, और अंततः जून में इसकी गतिविधियों का भंडाफोड़ किया।

जांच के दौरान पुलिस को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि रैकेट का मास्टरमाइंड कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक एमबीए स्नातक संदीप आर्य (39) था। उसने कानून की पढ़ाई भी की थी और कई अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट समन्वयक के रूप में काम किया था। आर्य पर आरोप है कि उसने 10 करोड़ रुपये की कीमत के 34 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में मदद की। उसकी गिरफ्तारी की कहानी तब शुरू हुई जब एक ग्राहक की पत्नी ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने आरोप लगाया कि आर्य ने उसके पति से 35 लाख रुपये ठग लिए।

रैकेट के मास्टरमाइंड को गोवा और साथी को नोएडा से किया गया गिरफ्तार

पुलिस ने संदीप आर्य और उसके साथी विजय कुमार कश्यप को गिरफ्तार किया। आर्य को गोवा के एक होटल से पकड़ा गया, जबकि कश्यप को नोएडा में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इस रैकेट में शामिल अन्य आरोपियों को भी पकड़ लिया। आर्य ने हर किडनी प्रत्यारोपण के लिए 35 से 40 लाख रुपये चार्ज किए और उसे एक मर्सिडीज कार भी मिली थी, जो एक लाभार्थी ने उसे अवैध प्रत्यारोपण के भुगतान के रूप में दी थी। अब, इस मामले में 4,000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई है, जिसमें सभी तथ्यों को शामिल किया गया है। इस घटना में मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम दिल्ली का क्षेत्र शामिल है। यह घटना न केवल मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ा कदम है, बल्कि मानव जीवन के प्रति संवेदनशीलता की भी एक मिसाल है।

पैसे के लालच में इसका हिस्सा बनने के लिए किया गया था मजबूर

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से कुछ ऐसे लोग हैं जो इस रैकेट में अनजाने में शामिल हो गए थे। उनका कहना है कि उन्हें पैसे के लालच में आकर इस गतिविधि का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया गया। किडनी देने वालों को केवल 1.5 लाख से 2 लाख रुपये तक का भुगतान किया गया, जबकि प्रत्यारोपित किडनी की कीमत कई गुना अधिक थी। इस प्रक्रिया में उन लोगों का शोषण किया गया जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और बेहतर जीवन की तलाश में थे।

कई मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और केमिस्ट वालों का भी हाथ

दिल्ली पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इस रैकेट में कुछ मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और केमिस्ट वालों का भी हाथ है। जांचकर्ताओं का कहना है कि कुछ डॉक्टरों ने मरीजों को बिना उचित मेडिकल जांच के किडनी प्रत्यारोपण करने की अनुमति दी। आरोपियों ने ये किडनी मुख्यतः उन लोगों से हासिल की, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और जिन्होंने अपनी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी। इससे साफ है कि इस रैकेट में चिकित्सा के क्षेत्र में भी गंभीर भ्रष्टाचार हो रहा था।

किडनी देने वाले गंभीर स्वास्थ्य समस्या से गुजर रहे हैं

इस रैकेट के पीड़ितों में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी किडनी बेची, लेकिन इसके बाद उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने जीवन में कठिनाईयों से निपटने के लिए पैसे की जरूरत के चलते किडनी बेचने का निर्णय लिया। लेकिन अब वे अपनी गलती का पछतावा कर रहे हैं। उनकी शिकायतों ने पुलिस को यह समझने में मदद की कि यह रैकेट केवल आर्थिक तंगी का परिणाम नहीं था, बल्कि लोगों की मजबूरी और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया गया एक संगठित अपराध था।

दिल्ली पुलिस ने इस रैकेट के खुलासे के बाद स्थानीय प्रशासन से भी सहयोग मांगा है। पुलिस ने बताया कि मामले में राज्य सरकारों और स्वास्थ्य विभाग को भी शामिल किया जाएगा ताकि इस तरह के रैकेट को रोका जा सके। इसके अलावा पुलिस ने चेतावनी दी है कि जो लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने समाज में जागरूकता की जरूरत को और बढ़ा दिया है। लोगों को इस बात की समझ होनी चाहिए कि किडनी जैसी महत्वपूर्ण अंगों का व्यापार करना कितना खतरनाक हो सकता है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि लोग ऐसे रैकेट्स के बारे में जानकारी रखें और प्रशासन को सूचित करें। दिल्ली पुलिस ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, ताकि लोग अपनी समस्याओं को रिपोर्ट कर सकें और मदद प्राप्त कर सकें।

इस मामले में पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है, और जल्द ही अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े सभी पहलुओं की गहराई से जांच करने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही, यह भी ध्यान में रखा जाएगा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को भी सहायता प्रदान की जाए। इससे न केवल न्याय मिलेगा, बल्कि समाज में सुरक्षा की भावना भी पैदा होगी।

दिल्ली में इस अवैध किडनी रैकेट का भंडाफोड़ एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि समाज में जागरूकता फैलाई जाए। केवल कानून की मदद से ही ऐसे संगठित अपराधों को खत्म नहीं किया जा सकता, बल्कि समाज को भी सक्रिय रूप से इस दिशा में काम करने की जरूरत है। सरकार और पुलिस को मिलकर एक ठोस नीति बनानी होगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।