तीन बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने गुरुवार (14 अप्रैल) को कहा कि अगर उन्हें चौथी बार मौका मिला तो वह स्मारक बनवाने के बजाय विकास पर ध्यान देंगी। मायावती की इस बात के लिए काफी आलोचना होती रही है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए दलित नेताओं के स्मारक बनवाने पर ज्यादा ध्यान दिया और जनता के हजारों करोड़ रुपए खर्च किए। उन्होंने कांशी राम सहित कई नेताओं के स्मारक बनवाए थे। यहां तक कि अपनी पार्टी (बसपा) के निशान हाथी की मूर्तियां बनवाने पर करोड़ों रुपए फूंक दिए थे।
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मायावती ने अंबेडकर जयंती पर एक कार्यक्रम में कहा, ‘अब मैं सत्ता में आऊंगी तो स्मारक नहीं बनवाउंगी, क्योंकि यह काम पूरा हो चुका है। अब केवल विकास पर ध्यान दूंगी।’ स्मारक, संग्रहालय और पार्क बनवाने पर विरोधियों द्वारा की गई आलोचनाओं पर उन्होंने कहा, ‘वे कहते हैं कि सरकार का पैसा बर्बाद कर दिया गया, पर अब वे वहीं से टिकट के जरिए पैसे कमा रहे हैं। अब ये कहा जा रहा है कि मायावती ने ये मूर्तियां इसलिए बनवाईं ताकि उनकी बगल में आगे चल कर अपनी मूर्ति भी लगवा सकें।’ उन्होंने दावा किया कि कांशी राम के बगल में उनकी प्रतिमा ‘आधुनिक सोच, लिखित वसीयत और मौखिक निर्देशों’ के चलते बनवाई गई हैं। उन्होंने कहा, ‘उनकी (कांशीराम) बगल में मेरी मूर्ति उनकी उत्तराधिकारी के रूप में और अंबेडकर के सपनों को महसूस करने व दलितों के कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर देने के चलते लगी है।’

