संसद के विशेष सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। इसके बाद यह विवाद सुर्खियों में छा गया। विपक्ष भाजपा सांसद पर कार्रवाई की मांग कर रहा है तो वहीं अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इस टिप्पणी की निंदा की है।

मुस्लिमों के खिलाफ नफरत की इंतहा: रमेश बिधूड़ी

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह मुसलमान के प्रति नफरत की इंतहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से एक मुस्लिम सांसद के लिए बीजेपी सांसद ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया और संसद के बाहर देख लेने की धमकी दी गई, यह लोकतांत्रिक इतिहास में पहली शर्मनाक घटना है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पहले भी काफी तीखी और कड़वी बहसें होती रही है। लेकिन इस तरह के आलोकतांत्रिक शब्द किसी सांसद ने अन्य सांसद के लिए नहीं प्रयोग किया है।

बीजेपी के सांसदों ने भी बिधूड़ी को नहीं रोका: अरशद मदनी

मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि सबसे दुखद बात यह है कि जब बीजेपी सांसद ऐसी भाषा में बोल रहे थे, तो उनकी पार्टी के किसी सांसद ने उन्हें नहीं रोका। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ यह नफरत की इंतहा ही है, जो अब लोकतंत्र के मंदिर तक जा पहुंची है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह हेट स्पीच से अधिक था और स्पीकर को तुरंत इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए थी।

अगर कोई विपक्षी नेता होता तो?: अरशद मदनी

अरशद मदनी ने मीडिया को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि अगर इसी भाषा का प्रयोग विपक्ष के किसी सांसद ने किया होता, तो अब तक सदन से उसे बाहर निकाल दिया जाता और कड़ी कार्रवाई की जाती। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी उस पर एक तूफान खड़ा कर देता। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अब आम आदमी को तो जाने दो, निर्वाचित मुसलमान प्रतिनिधि भी संसद में सुरक्षित नहीं है।

अरशद मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद नफरती भाषण को लेकर कार्यवाही करने का आदेश जारी किया है। नए भारत की यह तस्वीर काफी घातक है। अगर बाहर कोई बयान देता तो कुछ मामलों में कार्यवाही तो हुई है लेकिन यह मामला संसद का है, तो इसलिए कार्यवाही का अधिकार केवल स्पीकर के पास है।