Marital Rape: कर्नाटक (Karnataka) की बोम्मई सरकार मानती है कि पति अगर अपनी पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उस पर रेप (Rape) का केस दर्ज किया जा सकता है। एक मामले में सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट (High Court) के उस फैसले को दुरुस्त बताया है जिसमें पति को पत्नी के रेप के मामले में आरोपी माना गया था।

दरअसल पत्नी से रेप के मामले में आरोपी बनाए गए शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करके न्याय मांगा था। आरोपी शख्स ने शीर्ष कोर्ट में स्पेशल लीव पटीशन दाखिल की थी। उसकी दलील थी कि पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर उसके खिलाफ रेप का केस दर्ज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।

बोम्मई सरकार ने अपने हलफनामे में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया है। हाईकोर्ट ने आरोपी पति के खिलाफ ट्रायल शुरू करने का आदेश लोअर कोर्ट को दिया था। सरकार का अपने जवाब में कहना है कि पति दोषी है या नहीं ये बात ट्रायल के बाद ही पता लग सकती है। हालांकि आईपीसी की धारा 375 के सेक्शन 2 में पति को वैवाहिक रेप के मामले से इम्युनिटी दी गई है। लेकिन सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है वो दुरुस्त है।

जानें क्या था कर्नाटक HC का फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा 375 के सेक्शन 2 को अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता। रेप आखिर रेप है। वो चाहे पति करे या फिर कोई और शख्स। गैरकानूनी काम कोई भी करे उसके खिलाफ मामला तो बनता है। कोर्ट ने संवैधानिक व्याख्या में न पड़ते हुए कहा था कि वो मानती है कि कानून में अगर कोई ढील दी जाती है तो वही चीज वारदातों की वजह भी बन सकती है।

केंद्र सरकार ने झाड़ लिया अपना पल्ला

दिल्ली हाईकोर्ट के सामने आए वैवाहिक रेप के मामले में केंद्र से उसका पक्ष पूछा गया तो सरकार का कहना था कि वो इस मामले में नहीं पढ़ना चाहती। केंद्र का कहना था कि कोई को जो सही लगता है वो फैसला ले। लेकिन इस तरह के मसले में वो कोई भी राय देने में असमर्थ है। वैवाहिक रेप का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के पास विचाराधीन है। शीर्ष अदालत को देखना है कि क्या पति को पत्नी के साथ संबंध बनाने पर रेप का आरोपी मानकर उसके खिलाफ ट्रायल चलाया जा सकता है।