महाराष्ट्र में इन दिनों मराठी-हिंदी भाषा के मुद्दे पर राजनीति गरमाई हुई है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी अनिवार्य कर दी गई तो उनकी पार्टी ‘‘स्कूलों को बंद कर देगी’’। मुंबई के निकट मीरा भयंदर में एक रैली में उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाल के बयान का जिक्र किया कि राज्य के स्कूलों में किसी भी कीमत पर हिंदी पढ़ाई जाएगी।

मुंबई में एक जनसभा में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “मैं यहां भाषा पर कोई विवाद खड़ा करने नहीं आया हूँ। खबरदार, तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है। मैं हिंदू हूँ, लेकिन मुझ पर हिंदी थोपी नहीं जा सकती। अगर इस क्षेत्र पर किसी का अधिकार है, तो वो हम (मराठियों) का है। तुम महाराष्ट्र के बेटे हो, बाकी लोग बाहर से आए हैं। अगर कोई यहाँ आकर ज़रा भी ज्यादती करे, तो उसकी पिटाई कर दो।”

किसी भी भाषा के विरोधी नहीं- राज ठाकरे

इस महीने की शुरुआत में,राज्य सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले की घोषणा के बाद, इसका जमकर विरोध हुआ था। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने घोषणा की थी कि वे इस फैसले के खिलाफ एक संयुक्त मार्च निकालेंगे लेकिन उससे पहले ही राज्य सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला वापस ले लिया था। इसके बाद विजय रैली के मौके पर 20 साल बाद दोनों चचेरे भाई एक मंच पर आए थे। राज ठाकरे ने यह भी कहा कि वह किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जबरदस्ती सहन नहीं करेंगे।

मुंबई के महत्व को कम करने की कोशिश- उद्धव ठाकरे

वहीं, दूसरी ओर हिंदी भाषा विवाद पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं अपनी भावनाओं पर कायम हूं। हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन हम सख्ती लागू करने की इजाजत नहीं देंगे।” उद्धव ठाकरे ने मुंबई के घटते महत्व पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, ” मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है, मुंबई के महत्व को कम करने की कोशिश की जा रही है। मैं सार्वजनिक रूप से कह रहा हूं कि जो कोई भी मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश करेगा, मैं उसके टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा।” पढ़ें- जो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करेगा, हम उसके टुकड़े करेंगे- उद्धव ठाकरे