Marathi Row: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को भाजपा पर तीखा हमला बोला और क्षेत्रीय पहचान की रक्षा के मामले में पार्टी पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गुजरात में भाजपा राज्य की भाषा और संस्कृति की रक्षा करने की बात कहती है, लेकिन महाराष्ट्र में जो भी ऐसा करता है, उसे बदनाम किया जाता है।
महाराष्ट्र के रायगढ़ में एक सभा को संबोधित करते हुए मनसे प्रमुख ने दावा किया कि बिहारियों को गुजरात से दो बार निकाला गया, लेकिन जिन लोगों ने बिहारी विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और उन्हें गुजरात से बाहर निकाला, उन्हें बाद में भाजपा पार्टी में स्वीकार कर लिया गया और विधायक बना दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग मराठी और संस्कृति की वकालत करते हैं, उनकी बाहरी लोगों को परेशान करने के लिए अनुचित आलोचना की जाती है, जबकि अन्य जगहों पर दोहरा मापदंड मौजूद है।
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, मनसे प्रमुख ने दावा किया कि हम पर हिंदी-मराठी का मुद्दा उठाकर बाहरी लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन बिहारियों को गुजरात से दो बार खदेड़ा गया। जिन लोगों ने वहां बिहारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया, उन्हें पीटा और राज्य से बाहर निकाला, उन्हें भाजपा में ले लिया गया और विधायक बना दिया गया। वे अपने राज्य को संगठित रखते हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में अगर कोई अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा की बात करता है, तो उसे बदनाम किया जाता है।
राज ठाकरे ने भाषा विवाद के बीच सरकारी खर्च पर महाराष्ट्र में गुजराती साहित्य सम्मेलन आयोजित करने के लिए देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह जानबूझकर मनसे को उकसाने के लिए आयोजित किया गया था ताकि पार्टी कार्यकर्ता प्रतिक्रिया दें और भाजपा को राजनीति करने का मौका मिले।
मनसे चीफ ने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार सरकारी खर्च पर गुजराती साहित्य सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया है, ताकि हम इस पर प्रतिक्रिया दें और सरकार को राजनीति करने का मौका मिले। हम सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे, लेकिन जब हमें लगेगा कि सरकार महाराष्ट्र को बर्बाद करने के लिए कदम उठा रही है, तब हम आवाज़ उठाएंगे। आप सभी सतर्क रहें और सरकार जो कर रही है उस पर कड़ी नज़र रखें।
महाराष्ट्र में भाषा विवाद
ठाकरे की यह टिप्पणी महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद के बीच आई है। राज्य में खासकर मुंबई महानगर क्षेत्र में, यह विवाद तब शुरू हुआ जब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे जैसे विपक्षी दलों ने स्कूलों में त्रिभाषा नीति और पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने से संबंधित दो सरकारी प्रस्तावों को लेकर सरकार पर निशाना साधा।
राज और उद्धव ठाकरे सहित अन्य के विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने प्रस्ताव वापस ले लिया। बाद में 5 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी भाषा के मुद्दे पर मुंबई में एक मंच साझा किया और राज्य सरकार द्वारा जीआर वापस लेने के बाद महाराष्ट्र में हिंदी को थोपने का विरोध करने की कसम खाई।
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राज्य के विभिन्न भागों से एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा मौखिक और शारीरिक हमले, तोड़फोड़ और सार्वजनिक धमकी की घटनाएं सामने आने के बाद यह मामला और बढ़ गया, जिसकी व्यापक आलोचना हुई और कानूनी जांच की गई।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कई वीडियो में मनसे कार्यकर्ता दुकानदारों, ऑटो चालकों और यहां तक कि बैंक कर्मचारियों से मराठी न बोलने पर बहस करते नज़र आए। मुंबई में एक घटना में एक मेडिकल स्टोर के कर्मचारी को कथित तौर पर मराठी भाषा के प्रति अपमानजनक माने जाने वाले व्हाट्सएप स्टेटस पोस्ट करने के लिए पीटा गया और सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए मजबूर किया गया। पुणे के एक अन्य मामले में एक बैंक मैनेजर को ग्राहकों को हिंदी में संबोधित करने पर काम के घंटों के दौरान थप्पड़ मारा गया। वहीं, इससे पहले मनसे चीफ राज ठाकरे महाराष्ट्र के स्कूलों को लेकर बड़ा बयान दिया था। पढ़ें…पूरी खबर।