मशहूर एंकर रवीश कुमार ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कोरोना टीके के मामले में स्थिति हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि सरकार में कई गुरदास और एक सब का सरदार है। किसी को पता ही नहीं कि वैक्सीन के मामले में क्या करें। हालात चिंताजनक हैं।
रवीश ने यशपाल की कहानी के किरदार गुरदास का जिक्र सरकार पर हमले के लिए किया। इस कहानी का नाम अखबार में नाम है। गुरदास चाहता है कि स्कूल से लेकर मोहल्ले में उसकी ही चर्चा हो। उसका अखबारों में जिक्र हो। इतिहास में उसकी विशेष रुचि थी। शेरशाह सूरी समेत छत्रपति शिवाजी की छवि उसके दिल में बसी हुई थी। उसे हमेशा अपना नाम राजाओं की तरह से लेने की इच्छा थी। एक बार वो कार के नीचे आ जाता है। वो अदालत में मान लेता है कि छपास के लिए उसने कार के नीचे आने का जोखिम उठाया। रवीश ने गुरदास के एक्सीडेंट और छपास रोग यानी हेड लाइन सीकर के जरिए सरकार पर तंज कसा। बताया कि छपास रोग क्या होता है।
वैक्सीन की कमी पर उन्होंने सरकार के बहाने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें हर बात में इतिहास का नायक बन जाने का भूत सरकार पर सवार है। गुरदास की तरह मोदी को भी छपास का रोग लगा है। गुरदास की दुर्घटना और वैक्सीन पर सरकार के सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे का समय तकरीबन एक जैसा है। दोनों जून में हुए।
रवीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने जो बात कही वो पहले की हेडलाइन से अलग थी। प्रकाश जावड़ेकर की 13 मई की कांफ्रेंस में चार्ट से सरकार का दावा दिखाया जाता है। हर तरफ ये ही हेडलाइन नजर आने लगती है। लेकिन 21 जून के हलफनामे में संख्या ही बदल जाती है। हलफनामे तक आते-आते 81 करोड़ वैक्सीन की संख्या कम हो जाती है।
जावड़ेकर ने कहा कि दिसंबर तक 108 करोड़ लोगों को टीका लग जाएगा। उस समय ये हेडलाइन मजेदार थी। लेकिन बाद में पता चला कि जब जावड़ेकर बोल रहे थे तब तक 34.6 करोड़, का आर्डर सरकार ने दिया था पर 216 करोड़ टीके लगाने का दम भर रही थी।
रवीश ने सवाल दागा कि वैक्सीन के लिए समय पर आर्डर क्यों नहीं दिए गए। अभी तक कोविशील्ड की 3.47 करोड़ डोज मिली हैं जबकि 7.53 करोड़ अभी बाकी हैं। सरकार ने 5 मई को कोवैक्सीन की 5 करोड़ डोज का आर्डर दिया है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि टीके के लिए 18 साल के ऊपर की आबादी 93 से 94 करोड़ है।
रवीश ने तंज कसा कि घोटालों को हेडलाइन में जगह मिलती है पर उस समय क्या करें जब हेडलाइन में ही घोटाला हो जाए। मद्रास हाईकोर्ट में सरकार जो संख्या बताती है वो सुप्रीम कोर्ट तक आते आते 46 करोड़ कम हो जाती है। यानी मोदी और उनकी टीम लोगों को हेडलाइन से भरमाने का काम कर रही है। सरकार छपास रोग की शिकार है वैसे ही जैसे गुरदास को चर्चा में आने की ललक थी।