देश में बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से भारत सरकार ने 16 जनवरी, 2016 को ‘स्टार्टअप इंडिया’ कार्यक्रम शुरू किया। इसका उद्देश्य युवाओं में उद्यमशीलता का विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करना था। इस योजना में नए उपक्रम स्थापित करने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं भी शुरू की गईं, जिनमें ‘स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम’, ‘प्रोटोटाइपिंग’, उत्पाद परीक्षण और बाजार में प्रवेश जैसी प्रारंभिक चरण की गतिविधियों के लिए ऋण के लिए गारंटी, महिला उद्यमिता विकास की दृष्टि से सूक्ष्म वित्त योजना द्वारा महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता और ब्याज छूट प्रदान करने की व्यवस्था आदि प्रमुख हैं।

इस योजना की शुरूआत से अब तक की स्थिति का मूल्यांकन करें, तो कुछ उपलब्धियों के साथ नवउद्यम उपक्रमों के सामने बड़ी चुनौतियां भी दिखाई पड़ रही हैं। 30 जून, 2024 तक डीपीआइआइटी ने 1,40,803 उपक्रमों को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है। हर बीस दिन में निजी स्वामित्व वाली एक बड़ी कंपनी सामने आती है। इस वृद्धि में शीर्ष स्तरीय उच्च शिक्षा संस्थानों, सरकारी पूंजीगत व्यय और व्यापक इंटरनेट सुविधा आदि का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

रोजगार सृजन में पिछले साल की तुलना में 46.6 फीसद की उल्लेखनीय वृद्धि

भारतीय स्टार्टअप उपक्रमों का रोजगार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। डीपीआइआइटी से मान्यता प्राप्त नवउद्यमों ने 30 जून, 2024 तक 15.53 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए हैं। अकेले 2023 में इन नवउद्यमों ने 3.9 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन किया, जो पिछले साल की तुलना में 46.6 फीसद की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष 217.3 फीसद की उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इनसे जुड़ी सेवाओं के कारण परोक्ष रोजगार अवसरों में भी बढ़ोतरी हुई है। स्टार्टअप में 140 अरब अमेरिकी डालर का निवेश हुआ, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग चार फीसद है। इससे आर्थिक विकास और नवाचार की दृष्टि से नवउद्यम की बड़ी भूमिका परिलक्षित होती है। ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल के कारण डिजिटल प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाए जाने से नवउद्यमों की गति तेज हुई है।

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अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के सरकार के फैसले से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वर्ष 2023 में 12.47 करोड़ अमेरिकी डालर का निवेश हुआ। देश की जनसंख्या का लगभग 65 फीसद पैंतीस वर्ष से कम आयु वर्ग का है, जो नवउद्यमों के लिए बड़ी संख्या में प्रतिभाएं उपलब्ध कराने में सक्षम है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार स्थिर सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के साथ भारत में 2030 तक मध्यवर्गीय परिवारों के करोड़ों नए युवा होंगे, जो नवउद्यम के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करेंगे।

भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में कम नहीं हैं चुनौतियां

इतना सब कुछ होते हुए भी भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में चुनौतियां कम नहीं हैं। हाल ही में पारित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2024 यद्यपि आवश्यक है, फिर भी इससे नवउद्यमों पर अनुपालन का बोझ बढ़ गया है। भारत हर वर्ष बड़ी संख्या में तकनीकी प्रतिभा संपन्न पेशेवर स्नातक तैयार करता है, लेकिन शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखना चुनौती बनी हुई है। अधिकतर तकनीकी क्षेत्र में कुशल युवा बेहतर रोजगार संभावनाओं की दृष्टि से विदेश चले जाते है। ‘रैंडस्टैड’ के वर्ष 2023 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि 60 फीसद भारतीय तकनीकी पेशेवर बेहतर करिअर के लिए विदेश चले जाते हैं, जिससे देश में नवउद्यमों के लिए प्रतिभा संपन्न पेशेवर लोगों की कमी हो जाती है।

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वित्त पोषण में वृद्धि के बावजूद काफी हद तक इस क्षेत्र में असमानता बनी हुई है। युवा उद्यमियों को ऋण प्राप्ति में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अभी भी भारत में छह हजार से अधिक महिलाओं द्वारा संचालित नवउद्यम वित्त पोषित नहीं हैं। कई भारतीय स्टार्टअप अपनी शुरूआती सफलता से आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन परिचालन की अक्षमताओं के कारण उनके सफल संचालन में बाधा आती है।

कृत्रिम मेधा आधारित भर्ती फर्म ‘हायर प्रो’ के सर्वेक्षण के अनुसार देश में लगभग 80 फीसद नवउद्यम पांच साल तक भी अपना अस्तित्व नहीं बचा पाते। दस फीसद उपक्रम तो शुरू होने के एक साल के अंदर ही बंद हो जाते हैं, वहीं 70 फीसद शुरूआत के दो साल में बंद हो जाने की हालत में पहुंच जाते हैं। केवल 33 फीसद नवउद्यम दस साल तक किसी तरह खुद को बचा और मुनाफे में आ पाते हैं। जिन कारणों से ये असफल होते हैं, उनमें 34 फीसद उपक्रम मांग के अनुरूप और वांछित किस्म का उत्पाद न होने के कारण, 22 फीसद खराब मार्केटिंग व्यवस्था, 18 फीसद खराब टीम, 16 फीसद नकदी संकट के कारण, छह फीसद खराब तकनीक और चार फीसद अन्य कारणों से बंद होते हैं। इसके अलावा नवउद्यम के शुरूआती चरण में अधिकतर नवउद्यमियों के पास पर्याप्त धन और कुशल मानव शक्ति का अभाव तथा वित्त एवं कानूनी मामलों में मार्गदर्शक का न होना जैसे कारण भी शामिल हैं।

सहयोग से क्षेत्र विशिष्ट कौशल में विकास की पहल शुरू करना जरूरी

भारत में नवउद्यम के विस्तार और विकास की दृष्टि से इनको पूर्ण विनियामक बोझ से मुक्त करना जरूरी है। उद्योग जगत के नेताओं और शिक्षाविदों के सहयोग से क्षेत्र विशिष्ट कौशल विकास पहल शुरू करना जरूरी है। एआइ, ब्लाकचेन और एलओटी जैसी उभरती हुई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करना भी जरूरी है। इस उद्देश्य के लिए सरकार के ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम का लाभ उठाया और उसका विस्तार किया जा सकता है। छोटे और मझोले शहरों में नए उद्यमों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। वहां स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चा माल या कृषि उत्पाद आधारित उपक्रम की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाना उपयोगी हो सकता है। सभी मान्यता प्राप्त नवउद्यमों के लिए कर लाभ की व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाने की भी आवश्यकता है। महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़े स्टार्टअप के लिए अतिरिक्त कर छूट और प्रोत्साहन योजनाओं को लागू किया जाना भी जरूरी है। इन उपक्रमों के लिए पेटेंट दाखिल करने और उनके अनुमोदन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर उसमें लगने वाले औसत समय को कम करना भी जरूरी है। इस दृष्टि से जापान द्वारा अपनाई जाने वाली त्वरित जांच प्रणाली को अपनाया जा सकता है, जिसमें पेटेंट जांच के समय को औसतन 14 महीने तक कम कर दिया है।

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नवउद्यमों से सरकारी खरीद को प्राथमिकता देना और एक निश्चित फीसद में उनके उत्पादों और सेवाओं की खरीद को अनिवार्य किया जा सकता है। स्टार्टअप को अपनी मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अपने उत्पाद या सेवा को लक्षित बाजार मांग के अनुरूप बनाने की भी आवश्यकता है। इसके अलावा, इन उपक्रमों को अनुभवी उद्यमियों या उद्योग विशेषज्ञों से सलाह और सहायता लेना उपयोगी हो सकता है। स्टार्टअप और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक राष्ट्रीय मंच भी बनाया जा सकता है। भारत के नवउद्यम क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। ये देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इनकी गति को बनाए रखने की दृष्टि से केंद्र और राज्य सरकारों सहित सभी संबंधित पक्षकारों द्वारा गंभीर और प्रभावी उपाय किए जाने जरूरी हैं।

भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में चुनौतियां कम नहीं हैं। हाल ही में पारित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2024 यद्यपि आवश्यक है, फिर भी इससे नवउद्यमों पर अनुपालन का बोझ बढ़ गया है। भारत हर वर्ष बड़ी संख्या में तकनीकी प्रतिभा संपन्न पेशेवर स्नातक तैयार करता है, लेकिन शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखना चुनौती बनी हुई है। अधिकतर तकनीकी क्षेत्र में कुशल युवा बेहतर रोजगार संभावनाओं की दृष्टि से विदेश चले जाते है। ‘रैंडस्टैड’ के वर्ष 2023 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि 60 फीसद भारतीय तकनीकी पेशेवर बेहतर करिअर के लिए विदेश चले जाते हैं, जिससे देश में नवउद्यमों के लिए प्रतिभा संपन्न पेशेवर लोगों की कमी हो जाती है।