Delhi Violence, Anti-CAA Protests: दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद भड़की हिंसा में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को हिंसा भड़कने के तीन दिन बाद सरकार एक्शन में आई और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को उत्तर-पूर्व दिल्ली में स्थिति नियंत्रित करने के लिए भेजा। इसके बाद दिल्ली से किसी भी बड़ी घटना की खबर नहीं आई। गौरतलब है कि सीएए कानून संसद में दिसंबर में पारित हुआ था। पिछले दो महीने में ही इसके खिलाफ कई प्रदर्शन हो चुके हैं। इनमें कुल 51 लोग मारे गए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद इसके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में मुठभेड़ शुरू हुईं। दिसंबर में इन मुठभेड़ में 21 लोगों की मौत हुई थी। इसमें सबसे ज्यादा 13 लोगों ने उत्तर प्रदेश में जान गंवाई थी। इसके बाद जनवरी में प्रदर्शन के दौरान दो अलग-अलग घटनाओं में 3 लोग मारे गए। अब फरवरी में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा में 27 लोग मारे जा चुके हैं।
दिल्ली में कैसे हिंसा में बदले सीएए के खिलाफ प्रदर्शन
दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन का घेराव कर लिया था। इसके बाद भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने रविवार को मौजपुर में सीएए के समर्थन में भाषण दिया था। उन्होंने दिल्ली पुलिस को खुलेआम चेतावनी दी थी कि अगर सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारियों को रास्ते से नहीं हटाया गया, तो वे लोग किसी की भी नहीं सुनेंगे। बताया जा रहा है कि कपिल मिश्रा के भाषण के आधे घंटे बाद ही मौजपुर में झड़प शुरू हो गई थी। हिंसा के बाद मिश्रा ने ट्वीट कर कहा था कि जब तक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत में हैं, हम इलाके को शांति से छोड़ रहे हैं। इसके बाद हम आपकी (पुलिस) की भी नहीं सुनेंगे।
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