गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत बिगड़ने और उनके अस्पताल में भर्ती होने के चलते राज्य में सत्ता के लिए फिर से उठा-पटक का दौर शुरु हो गया है। दरअसल गोवा में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एक बार फिर सत्ता पर दावा ठोक दिया है। जिसके बाद गोवा में सरकार को बचाने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ही मैदान में उतरना पड़ा है। वहीं कांग्रेस, भाजपा की गठबंधन पार्टियों पर डोरे डालकर राज्य में सत्ता पर काबिज होने का प्रयास कर रही है। बता दें कि गोवा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 16 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन भाजपा ने विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर सरकार बना ली थी। अब जब मनोहर पर्रिकर पिछले काफी समय से बीमार हैं और अब उनके एम्स में भर्ती होने के चलते किसी अन्य नेता को सीएम बनाने की बात चल रही है तो एक बार फिर कांग्रेस सत्ता पाने के लिए सक्रिय हो गई है।

मनोहर पर्रिकर के बीमार होने कारण राज्य में भाजपा की सहयोगी पार्टी महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (MGP) के नेता सुधिन धाविलकर को सीएम बनाने की बात सामने आयी थी। लेकिन न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, अन्य सहयोगी पार्टियां सुधिन धाविलकर के नाम पर सहमत नहीं हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार में सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन विधायक और 3 निर्दलीय विधायक इस मुद्दे पर नाराज हैं और यही वजह रही कि उन्होंने रविवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है। वहीं दूसरी तरफ सोमवार को कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा कर दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में प्रशासन पूरी तरह से धराशायी हो गया है इसलिए राज्यपाल मृदुला सिन्हा इस सरकार के बर्खास्त करें। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक राज्यपाल से मुलाकात नहीं की है, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि उसके पास सरकार बनाने लायक जरुरी समर्थन मौजूद है।

क्या है सीटों का गणितः गोवा में 40 विधानसभा सीट हैं। साल 2017 में हुए गोवा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 16 सीटों और भाजपा को 14 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा ने चुनावों के बाद गोवा फॉरवर्ड पार्टी (3 सीट) और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (3 सीट) के साथ गठबंधन कर और 3 निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर गोवा में सरकार बना ली थी। अब मनोहर पर्रिकर के बीमार होने के साथ ही राज्य के शहरी विकास मंत्री फ्रांसिस डिसूजा और ऊर्जा मंत्री पांडुरंग मडकईकार भी बीमार चल रहे हैं, जिसके चलते राज्य में विकास कार्यों पर असर पड़ा है। जिसे कांग्रेस मुद्दा बनाकर सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए पार्टी विभिन्न विधायकों को अपने पाले में खींचने की कोशिशें कर रही है। भाजपा के सामने मुश्किल ये है कि मनोहर पर्रिकर के बाद पार्टी में मजबूत नेतृत्व की कमी है, जिसके चलते यह पूरा मुद्दा उभरा है।

कांग्रेस को इस बात का भी डर है कि भाजपा विधानसभा भंग कर दोबारा चुनाव करा सकती है। कांग्रेस नेता चंद्रकांत कावलेकर का कहना है कि राज्य डेढ़ साल में ही दोबारा चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है। इससे राज्य के खजाने पर काफी दबाव पड़ेगा। वहीं गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई ने एनडीटीवी से बातचीत में कांग्रेस के साथ कोई भी बातचीत होने से इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि ‘वह किसी के साथ बातचीत नहीं कर रहे हैं और ना ही कोई उनसे बातचीत कर रहा है। हम अमित शाह के जवाब का इंतजार कर रहे हैं, जिन्होंने हमें एक अच्छा प्रस्ताव देने की बात कही है।’