तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दाल, रोटी और चावल खाकर से संतुष्ट हैं। तिहाड़ के सबसे पुराने जेल नंबर-1 में रह रहे सिसोदिया न कोई खास मांग कर रहे हैं, न ही कोई विशेष दर्जा चाहते हैं। जेल प्रशासन उनके इस व्यवहार से संतुष्ट है। वह गीता का पाठ और साधारण बिस्तर पर सो रहे हैं। दिन रात मोबाइल पर व्यस्त रहने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री जेल में अब सिर्फ लैंडलाइन फोन से समयानुसार ही अपने परिजनों से बात करते हैं।

दिल्ली में कथित तौर पर शराब घोटाले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल में बिना कोई तामझाम के समय काट रहे हैं। जेल सूत्रों के मुताबिक उनकी कोई खास मांग नहीं हो रही है। दिल्ली सरकार में नंबर-दो की हैसियत रखने वाले सिसोदिया सुबह 11 से 11:30 के बीच जेल से मिली ब्रेड और दलिया का नाश्ता करने को विवश हैं।

अपनी पसंद के भोजन खाने वाले मंत्री को इस समय दोपहर 12 बजे भोजन में दाल, सब्जी और रोटी या चावल और शाम पांच बजे चाय के साथ बिस्कुट दिया जाता है। देर रात तक सरकार के अधिकारियों से बैठक करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री इस समय जेल में शाम छह बजे खाना खाकर कमरे में चले जाते हैं।

जेल सूत्रों का कहना है कि चूंकि तिहाड़ में पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक के साथ अरबों, खरबों के मालिक आम्रपाली जैसे रीयल एस्टेट कारोबार के मालिक बंद हैं इसलिए यहां सिर्फ सुरक्षा के दृष्टिकोण से कैदी को अलग-अलग रखा जाता है। इसके अलावा खूंखार आतंकवादियों से लेकर चाकूबाज बदमाश भी सजायाफ्ता के रूप में बंद हैं इसलिए यहां सिसोदिया जैसे एक विधायक को वीआइपी और वीवीआइपी सुविधा मिलने का सवाल ही नहीं है ?

हां, नियमानुसार समय काटने के लिए किताब-काफी और पढ़ने लिखने के लिए एक पुस्तकालय बनाया गया है जहां से कैदी अपनी पसंद की पुस्तक मंगा सकते हैं। मनीष सिसोदिया जेल में गीता पढ़ते हैं। स्वास्थ्य की देखभाल के लिए जेल में सभी कैदियों के लिए 24 घंटे सातों दिन चिकित्सक उपलब्ध है।

जेल सूत्रों का कहना है कि सिसोदिया को भी जेल नियम के मुताबिक हर रोज पांच मिनट वोडाफोन लैंडलाइन फोन से घर बात करने की सहूलियत दी गई है। यहां सिर्फ घर के पहले से तय नंबर पर बात करने की छूट है। बताया गया कि प्रति महीने हर कैदी अपनी जेब के हिसाब से अपने पैसे से कैंटीन से दस हजार रुपए तक के सामान खरीद सकता है। यह छूट भी पहले से बने एक तय कार्ड के हिसाब से मिलती है।

इसमें कई कैदी सेवादार का काम कर जो पैसे कमाते हैं उसके मेहनताने की रकम होती है और कई लोग अपने घर से पैसे मंगाकर जेल से मिलने वाले भोजन के अलावा कैंटीन से अन्य चीजें लेते हैं। जेल प्रशासन का यह भी कहना है कि कई कैदियों की अतिरिक्त मांगे होती है, लेकिन मनीष सिसोदिया ने अभी तक किसी अतिरिक्त सुविधा की मांग नहीं की है।