सरकार ने ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराए जाने का वीडियो हटाने के लिए कहा है। सूत्रों ने बताया कि वीडियो आपत्तिजनक है और चूंकि मामले की जांच की जा रही है इसलिए ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से वीडियो को हटाने के लिए कहा गया है।

दरअसल, मणिपुर के एक गांव में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने और भीड़ द्वारा उनसे छेड़छाड़ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हंगामा मचा है। चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर में तनाव है। इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड करा रहे हैं। वायरल वीडियो की घटना दो महीने पहले की है और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस मामले में 18 मई को कांगपोकपी जिले में एक जीरो FIR दर्ज की गई थी।

सोशल मीडिया से वीडियो हटाने के आदेश

सरकार की मांग के जवाब में, वीडियो शेयर करने वाले कुछ अकाउंट के ट्वीट भारत में हटा दिए गए हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “वीडियो को हटाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के साथ कुछ लिंक शेयर किए गए हैं क्योंकि इससे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ सकता है।”

गौरतलब है कि केंद्र के पास सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (A) के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की शक्ति है। इन आदेशों को गोपनीय रखा जाता है।

कांग्रेस ने की मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

कांग्रेस ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना पर प्रधानमंत्री के बयान के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि पीएम मोदी ने राज्य में जातीय संघर्ष के मुद्दे की पूरी तरह से अनदेखी की और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को भी पद छोड़ने का निर्देश नहीं दिया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। कांग्रेस ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि मणिपुर को लेकर 80 दिनों तक प्रधानमंत्री मोदी ने जो चुप्पी साध रखी थी उसे देश कभी माफ नहीं करेगा।