Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार शाम को एक वीडियो संदेश जारी किया है। वीडियो संदेश में सोनिया गांधी ने कहा कि इस हिंसा ने मणिपुर में लोगों के जीवन को तबाह कर दिया और हजारों लोगों को उजाड़ दिया है। इस हिंसा ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा में एक गहरा घाव छोड़ा है।
सोनिया गांधी ने कहा कि मुझे यह देखकर गहरा दुख हुआ है कि लोगों को उस एकमात्र स्थान से पलायन होने लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे वे अपना घर कहते हैं। उन्होंने लोगों से शांति और सद्भाव की अपील करते हुए कहा कि आज हम जो रास्ता अपने बच्चों को सिखाएंगे, यही उनके भविष्य को संजोएगा। साथ ही यही उनको विरासत में मिलेगा। मुझे मणिपुर के लोगों से अपार आशा और विश्वास है। मैं जानती हूं कि हम सब मिलकर इस मुश्किल वक्त से निकलेंगे।
25 जून तक राज्य में इंटरनेट पर रोक
इस हिंसा में अब तक 110 से अधिक लोग मारे गए हैं। जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा को देखते हुए राज्य सरकार ने मणिपुर में 25 जून तक इंटरनेट पर रोक बढ़ा दी है।
मणिपुर हिंसा को लेकर 19 जून को कांग्रेस समेत 10 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था। जिसमें मणिपुर में हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की बांटो और राज करो की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। विपक्षी दलों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को वर्तमान जातीय हिंसा का जिम्मेदार बताया था। साथ ही कहा था कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री ने सही वक्त पर उचित कदम उठाया होता और तत्काल कार्रवाई की होती तो इस हिंसा को टाला जा सकता था।
पत्र में पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर भी आलोचना की गई थी। साथ ही कहा गया था कि गृहमंत्री के राज्य के दौरे से हालात में कोई फर्क नहीं आया है। पीएम की लगातार चुप्पी मणिपुर को नुकसान पहुंचा रही है और अगर पीएम शांति की अपील करेंगे तो हमें उम्मीद है कि राज्य के हालात में सुधार होगा। पत्र में कहा गया था कि गोलीबारी को तत्काल बंद किया जाना चाहिए। सभी सशस्त्र समूहों को तुरंत हथियार डालने के लिए कहा जाना चाहिए और पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। विपक्षी दलों ने राज्य में अवैध प्रवासियों के आने पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मणिपुर-म्यांमार सीमा पर कड़ी निगरानी की जाए।