Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि कोई भी पक्ष नफरती भाषण न दे, जिससे स्थिति और ज्यादा खराब हो। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि वह केंद्र और मणिपुर सरकार पर लोगों के जीवन की रक्षा के लिए तैयारी करने का दबाव बनाएगी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मंगलवार कुकी जनजाति की सुरक्षा भारतीय सेना से कराए जाने संबंधी मणिपुर ट्राइबल फोरम की याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को इस तरह का निर्देश देना उचित नहीं होगा।

सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों से संतुलन की भावना बनाए रखने और किसी भी नफरत भरे भाषण में भाग नहीं लेने का अनुरोध किया। इससे एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोर्ट का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर जनहित याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम केवल राज्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निगरानी कर सकते हैं और अगर अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं तो कुछ आदेश पारित कर सकते हैं, लेकिन, हम कानून एवं व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा था कि सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार का काम है।

कोर्ट का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए: SC

शीर्ष अदालत ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा जनहित याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम केवल राज्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निगरानी कर सकते हैं और अगर अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं तो कुछ आदेश पारित कर सकते हैं। लेकिन, हम कानून एवं व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार का काम है। मणिपुर हिंसा मामले पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट सौंपी थी।

मणिपुर में दो महीने से बंद है इंटरनेट

मणिपुर में पिछले दो महीने से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। यहां इंटरनेट पर बैन लगे भी दो महीने से ज्यादा हो गए। हाल ही में मणिपुर सरकार ने इंटरनेट पर 10 जुलाई तक के लिए बैन बढ़ा दिया था। इंटरनेट बैन के खिलाफ याचिकाओं पर मणिपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि गृह विभाग मामले के आधार पर इंटरनेट सेवा प्रदान कर सकता है।

‘नागा भी बन सकते हैं पार्टी का हिस्सा’

मणिपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर राज कुमार निमाई का कहना है कि अगर इस हिंसा का समाधान नहीं निकाला गया तो आज नहीं कल नागा भी इस हिंसा में पार्टी बन सकते हैं। ऐसा हुआ तो हर मोर्चे पर मिलिटेंट ग्रुप्स से निपटना होगा।

अब तक 138 से ज्यादा मौतें, हजारों लोग कर चुके पलायन

बता दें, मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। इस मार्च के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। जिसमें अब तक 138 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, जबकि हजारों लोग पलायन कर चुके हैं। साथ ही राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। बता दें, मणिपुर में 53 फीसदी मैतई समुदाय रहता है। जो सबसे अधि इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं 40 फीसदी हिसा जनजातीय नागा और कुकी आबादी का है, जो पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।