Manipur Violence: मणिपुर में कुकी-मैतई के बीच झड़पों के तीन महीने बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए केंद्र ने राज्य में 900 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को भेजा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की 10 और कंपनियां (900 जवान) को मणिपुर भेजा है। वे शनिवार रात राज्य की राजधानी इंफाल पहुंचे। इन्हें पूर्वोत्तर राज्य के कई जिलों में तैनात किया जा रहा है।

इससे पहले केंद्र ने 27 जुलाई के आसपास मणिपुर में अतिरिक्त 35000 सुरक्षाकर्मियों की फोर्स भेजी थी। कुकी और मैतेई समुदय के बीच में जो विवाद वाले इलाके हैं, वहां पर बफर जोन बनाने का भी ऐलान किया था। सरकार का कहना है कि पीएम मोदी खुद पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार बात कर रहे हैं। 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद, रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने सेना, अर्धसैनिक बल असम राइफल्स और विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 40,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया था।

थाना प्रभारी सहित पांच पुलिस कर्मी सस्पेंड

वहीं महिलाओं को नग्न करके घुमाने के मामले में पुलिस-प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने उस क्षेत्र के थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जहां 4 मई को भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना हुई थी। अधिकारियों ने रविवार इस बात की जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि 19 जुलाई को घटना का वीडियो सामने आया था। इस घटना के तुरंत बाद मणिपुर पुलिस ने थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी और चार अन्य पुलिस कर्मियों को निलंबित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि कार्रवाई तुरंत की गई और बहुसंख्यक समुदाय (मैतई) के कुछ वर्गों द्वारा उनकी बहाली के लिए रोजाना विरोध प्रदर्शन के बावजूद इसे वापस नहीं लिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य पुलिस ने बिष्णुपुर में 3 अगस्त को एक शस्त्रागार की लूट की घटनाओं की जांच के लिए एक पुलिस महानिरीक्षक के तहत समयबद्ध जांच का भी आदेश दिया है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर पुलिस द्वारा राज्य में हिंसा के चक्र को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, जो 3 मई को बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा कि पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि कानून और व्यवस्था के मामले में जरा भी ढिलाई है, वहां उस स्थिति को तत्काल सही किया जाए। अधिकारी ने कहा कि उदाहरण के लिए, सेना और असम राइफल्स सहित अन्य एजेंसियों की मदद से हम हिंसा को काफी हद तक काबू करने में कामयाब रहे हैं।

अधिकारियों में से एक ने कहा, यह खेती का मौसम है और हम पूरी तरह से शांति लौटने का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए हमें इसका प्रबंधन करना होगा। इसका मतलब है कि पुलिस बल को तलहटी में स्थानांतरित करना होगा, जहां प्रसिद्ध काले चावल के लिए खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में अब तक करीब 300 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जातीय संघर्ष के दौरान कई जीरो एफआईआर दर्ज की गई हैं और हर दावे की जांच की जानी है।

अधिकारी ने बताया कि बिष्णुपुर जिले के नारनसीना में स्थित दूसरी इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के मुख्यालय से हाल ही में हथियारों और करीब 19,000 गोलियों की लूट के संबंध में समयबद्ध जांच शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि महानिरीक्षक रैंक का एक अधिकारी जांच का नेतृत्व कर रहा है जो छह सप्ताह के भीतर पूरी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिए तीन अगस्त को वहां भीड़ जमा हुई थी, जहां आदिवासी उसी दिन राज्य में हुई जातीय झड़पों में मारे गए अपने लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना बना रहे थे।

अधिकारियों ने कहा कि पिछले महीने हवाईअड्डे के बाहर महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी पर हमले के बाद 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। नगा मारिंग महिला की 15 जुलाई को नृशंस हत्या के सिलसिले में पांच मीरा पैबिस (महिला मशाल वाहक) सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा, ‘मणिपुर में बिना किसी घटना के एक दिन को ‘हिंसा की अनुपस्थिति’ कहा जाता है और इसे सामान्य चीज के रूप में नहीं देखा जाता है। चीजें सामान्य होने से पहले अभी लंबा रास्ता तय करना है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। जिसके बाद तीन मई से शुरू हुए जातीय संघर्ष में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, जबकि हजारों लोग राज्य से पलायन कर चुके हैं।

क्या मणिपुर विवाद की जड़?

इस पूरे हिंसा कr जड़ भी मणिपुर का वो विवाद है जो वैसे तो कई सालों से चला आ रहा है, पिछले कुछ महीनों ने इसने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

मैतेई समुदाय क्‍यों चाहता है एसटी का दर्जा

मैतेई समुदाय को अनुसूच‍ित जनजात‍ि (एसटी) की ल‍िस्‍ट में शाम‍िल क‍िए जाने की मांग एक दशक से भी ज्‍यादा पुरानी है। 2012 में बने The Scheduled Tribe Demand Committee of Manipur (STDCM) नाम के संगठन ने लगातार इसके ल‍िए सरकार पर दबाव डाला। 2022 में बने मैतेई ट्राइब यून‍ियन ने इसके ल‍िए हाईकोर्ट में अर्जी दी। अर्जी में तर्क द‍िया था क‍ि 1949 में भारत सरकार में मणि‍पुर राज्‍य के व‍िलय के पहले मैतेई समुदाय को जनजात‍ि का दर्जा म‍िला हुआ था। व‍िलय के बाद उनकी यह पहचान खत्‍म हो गई। समुदाय को बचाने, पुश्‍तैनी जमीन, परंपरा और भाषा को बचाने के ल‍िए हमें एसटी दर्जा द‍िया जाए। कोर्ट ने सरकार को आदेश दे द‍िया क‍ि वह केंद्र सरकार को इस संबंध में प्रस्‍ताव भेजे।

मणिपुर की कितनी है आबादी?

मणिपुर की आबादी करीबन 33 लाख है। जिसमें से 64.6 फीसदी लोग मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। जबकि 35.40 फीसदी आबादी कुकी, नागा और दूसरी जनजातियों की है। राज्‍य में 34 जनजात‍ियां रहती हैं।