Thane News: ठाणे की सेशंस कोर्ट ने 52 साल के एक व्यक्ति को एक ट्रैफिक पुलिस कांंस्टेबल को थप्पड़ मारने के नौ साल पुराने मामले में एक दिन की सजा सुनाई है। कोर्ट ने रोड रेज से जुड़े इस मामले में आरोपी पाए गए व्यक्ति पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
एडिशनल सेशंस कोर्ट के जज जीटी पवार ने कहा कि ट्रायल के दौरान आरोपी के आचरण, हेल्थ संबंधी समस्याओं, पारिवारिक जिम्मेदारियों और पुलिसकर्मी को लगी चोट का नेचर देखते हुए उससे नरमी बरतनी चाहिए। पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 जुलाई के इस ऑर्डर की कॉपी बुधवार को उपलब्ध हो पाई।
पहले ट्रैफिक कांस्टेबल को दी गालियां, फिर मारा थप्पड़
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने रमेश शिटकर को 18 नवंबर, 2016 को ठाणे शहर के कैडबरी सिग्नल पर ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल दिलीप पवार पर हमला करने के आरोप में BNS की धारा 353 (आपराधिक बल प्रयोग) और 332 (लोक सेवक को जानबूझकर चोट पहुंचाने) के तहत दोषी ठहराया। हालांकि, धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत आरोप साबित नहीं हुए।
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यह घटना उस समय घटी जब कांंस्टेबल दिलीप पवार ने तेज गति में कार चला रहे रमेश शिटकर को बीच रोड पर रोक दिया। इसके बाद रमेश शिटकर ने ट्रैफिक कांस्टेबल को गालियां दीं और कई बार थप्पड़ मारा। इस घटना के संबंध में ठाणे के रबोडी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई गई थी। ट्रायल के दौरान कोर्ट ने प्रॉसिक्यूशन के सात गवाहों से पूछताछ की।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन के गवाहों के एविडेंस से यह तथ्य साबित हो चुका है कि सूचना देने वाला (पुलिसकर्मी) अपनी ऑफिशियल ड्यूटी निभा रहा था और आरोपी ने उस पर हमला किया। जज जीटी पवार ने डिफेंस के इस दावे को खारिज कर दिया कि रमेश शिटकर को एक रिक्शा चालक के साथ झगड़े के बाद फंसाया गया। इस रिक्शा चालक ने लड़ाई को रोकने की कोशिश की थी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि डिफेंस प्रॉसिक्यूशन के गवाहों के बयान पर अविश्वास करने लायक कोई भी सबूत पेश करने में नाकाम रहा। घटना वाली जगह से कार को नुकसान पहुंचाने का कोई सबूत सामने नहीं आया। हालांकि डिफेंस की दलीलों को स्वीकार करते हुए जज साहब ने कहा, “ट्रायल के वक्त आरोपी के आचरण, उसकी बीमारी, जिम्मेदारियों और सूचना देने वाले को हुई चोट की प्रकृति को देखते हुए, मेरा मानना है कि उसके प्रति नरमी बरती जा सकती है।”