Mustafabad Building Collapse: राजधानी दिल्ली के मुस्तफाबाद स्थित दयालपुर इलाके में उस वक्त सनसनी मच गई। जब वहां एक छह मंजिला इमारत देखते-देखते ही जमींदोज हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हैं। अभी भी कुछ लोग मलबे में दबे हुए हैं। वसीम नाम के शख्स ने शनिवार दोपहर को अपने साले चांद से बात करना चाह रहे पत्रकारों को दूर भगाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘वह खबर सुनने के लिए तैयार नहीं है। उसके लिए, उसकी पत्नी चांदनी का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके माता-पिता अभी भी मलबे के नीचे हैं। वह अभी उनके बारे में चिंतित है।’
चांद का परिवार नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के मुस्तफाबाद में अपने पिता की चार मंजिला रेजिडेंशियल बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर रहता था। इस हादसे में उसके परिवार के आठ सदस्यों की मौत हो गई। सुबह करीब साढ़े तीन बजे जब वसीम को इस हादसे के बारे में पता चला तो वह यूपी के सिंगोली तगा में अपने घर से भागा-भागा निकला। उसने कहा, ‘मैं ट्रेन में सवार हुआ और जल्दी से जल्दी यहां पहुंचा। मुझे अपनी बहन की मौत की खबर सुनने का भी समय नहीं मिला। मुझे चांद का ख्याल रखना है।’
चांद ने दिल्ली दंगों में अपने भाई को खो दिया था
चांद ने साल 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में अपने एक बड़े भाई आश मोहम्मद को खो दिया था। शनिवार की त्रासदी में उनकी पत्नी के अलावा उनके पिता तहसीन, उनके दूसरे बड़े भाई नजीम, भाभी शाहिना, भतीजे अनस और अफान, भतीजी आफरीन और एक दूर के रिश्तेदार इशाक की मौत हो गई। चांद की मां जीनत अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं।
गहरी नींद में थे लोग और मच गई चीख-पुकार
इमारत की पहली मंजिल पर रहने वाले एक अन्य परिवार ने अपने दो प्रियजनों को खो दिया। हादसे में मारे गए दो भाई दानिश और नावेद अपने माता-पिता शाहिद और रेहाना और अपनी बहन नेहा के साथ रहते थे। शाहिद और रेहाना को जीटीबी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। जबकि उनकी बेटी को दोपहर में छुट्टी दे दी गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि उसने ही अपने माता-पिता को समय रहते बाहर निकाला। लेकिन वह अपने भाइयों की मदद नहीं कर सकी।
मामू जल्दी आ जाओ – सेहजाद अहमद की भतीजी
अपनी बहन रेहाना की हालत के बारे में अपडेट के लिए कतार में इंतजार कर रहे सेहजाद अहमद ने कहा, ‘मुझे सुबह मेरी भतीजी का फोन आया। उसने कहा ‘मामू, जल्दी आ जाओ। घर गिर गया है।’ उन्होंने कहा कि मैं सीधे अस्पताल आया और पता चला कि मेरे भतीजे मर चुके हैं। अहमद ने बताया कि दानिश परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और वह अपनी और अपनी बहन की शादी के लिए पैसे बचा रहा था।
अहमद ने बताया, ‘शाहिद एक आंख से देख नहीं सकता था और घर पर ही रहता था। दानिश कबाड़ के कारोबार से अपनी आजीविका चलाता था। वह नावेद की पढ़ाई का खर्च उठा रहा था। परिवार जल्द ही नेहा की शादी करने की योजना बना रहा था और फिर दानिश की। वे पिछले 16 सालों से वहीं रह रहे थे।’ इमारत की तीसरी मंजिल पर एक और पीड़ित रेशमा रहती थी। वह अपने पति अहमद, बेटे अल्फेज और बेटियों आलिया और तनु के साथ रहती थी।
इमारत गिरने के बाद टूटी नींद
रेशमा के एक रिश्तेदार गुलाम हुसैन ने कहा कि जब इमारत गिरी तो उनकी नींद टूट गई। उन्होंने बताया कि ऐसा लगा कि जैसे भूकंप आ गया हो। उन्होंने कहा, ‘मैं छत पर भागा और हवा में धूल देखी। इमारत दिखाई नहीं दे रही थी। फिर किसी ने मुझे फोन करके बताया कि इमारत ढह गई है।’ हुसैन को एहसास हुआ कि उनके परिवार के सदस्य अंदर हैं, इसलिए वे इमारत की ओर भागे। उन्होंने बताया, ‘मैंने सबसे पहले बच्चों को बाहर निकाला। सुबह करीब 4 बजे मुझे एंबुलेंस भी मिल गई।’
ग्राउंड फ्लोर पर कुछ निर्माण का काम चल रहा था – रेशमा के भाई
सुबह उत्तर प्रदेश से आए रेशमा के भाई फरमूद ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर कुछ निर्माण का काम चल रहा था और मालिक दुकानों के लिए जगह बढ़ाने की कोशिश कर था। उन्होंने कहा, ‘मैं सीधे अस्पताल आया। मैं बस अपने भतीजे और भतीजियों को देखने का इंतजार कर रहा हूं।’ पुलिस ने बताया कि अहमद और तनु अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अल्फेज और आलिया को छुट्टी दे दी गई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा, ‘हम इन घरों को मंजूरी देने वाले एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।’