नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी गवर्नर का आंकड़ा ठीक नहीं रहा। जगदीप धनखड़ थे तो मीडिया के कैमरे आए दिन राजभवन के सामने लगे होते थे। वो गए तो लगा कि अब सीएम और गवर्नर के बीच का आंकड़ा ठीक रहेगा। लेकिन हालात सामान्य होते कभी भी नहीं लगे। ताजा घटनाक्रम में राज्यपाल आनंद बोस ने ममता बनर्जी को राजभवन के भीतर प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सम्मानित अतिथि के रूप में राजभवन के अंदर किसी भी विरोध प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया। यह प्रस्ताव ऐसे वक्त आया है जब बनर्जी ने राज्य विधानसभा की तरफ से पारित विधेयकों को रोकने के विरोध में राजभवन के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी।
राज्यपाल ने कहा कि वो मुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे कि वो राजभवन के अंदर आएं और अगर वह चाहें तो विरोध प्रदर्शन करें। उन्हें बाहर क्यों रहना चाहिए? मंगलवार को शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान बनर्जी ने कहा था कि अगर राज्य सरकारों के अधिकार छीनने की कोशिश भी की गई तो वो राजभवन के बाहर धरने पर बैठने के लिए मजबूर होंगी। उनका कहना था कि हम अन्याय नहीं होने देंगे। बंगाल जानता है कि कैसे लड़ना है। इंतजार करें और देखें।
विवि में कुलपतियों की नियुक्ति के बाद से बिफरी हैं ममता बनर्जी
राज्यपाल ने राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में, हाल में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएकेएयूटी) और बर्धमान विश्वविद्यालय सहित आठ विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम उप-कुलपतियों की नियुक्ति की। मुख्यमंत्री ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य-प्रशासित विश्वविद्यालयों के संचालन में हस्तक्षेप करने का प्रयास बताया।
सूत्रों ने कहा कि आठ अन्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। नियुक्ति पत्र जल्द ही जारी किए जाएंगे। कुलपतियों को पांच सदस्यीय सर्च कमेटी की तरफ से सुझाए गए नामों में से चुना जा रहा है। उधर ममता बनर्जी का आरोप है कि आनंद बोस समिति के सुझावों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा से लोगों को नियुक्त कर रहे हैं। उनका कहना था कि ये राज्य के काम में अतिक्रमण जैसा है।