मुंबई की एक अदालत ने साल 2008 में हुए मालेगांव बम धमाका मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। इस बम हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 17 साल बाद आए इस फैसले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, रिटायर्ड कर्नल पुरोहित समेत सभी को बरी कर दिया गया। इस फैसले के बाद पीड़ित पक्ष के परिवारों ने कहा कि वो लंबे समय से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे थे जो अब खत्म हो गई। हालांकि उन्होंने ये कहा कि अब ऊपरी अदालत में मामले की अपील करेंगे।

बम धमाके की वजह से 75 वर्षीय निसार बिलाल ने अपने 19 साल के बेटे अजहर को खो दिया था। अजहर उन 6 लोगों में से था जिनकी इस बम धमाके में मौत हुई थी 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीखू चौक पर एक मोटरसाइकिल में रखे बम के फटने की वजह से ये भयानक धमाका हुआ था।

हाफिज बनने के लिए कुरान पढ़ रहा था अजहर

अजहर की तस्वीर लिए निसार बिलाल कहते है कि कुरान पढ़ने वाला और फ्रिज मैकेनिक बनने का ख्वाब देखने वाला अजहर उस दिन मस्जिद से घर के लिए निकला था। बिलाल बताते हैं कि हाफिज बनने के लिए अजहर कुरान याद कर रहा था इसी दौरान मस्जिद से घर आते समय वो बम धमाके का शिकार हो गया और मौके पर ही मौत हो गई।

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उन्होंने आगे बताया कि इस घटना के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने जांच करने के बाद सभी आरोपियो को जमानत पर रिहा कर दिया। जिसके बाद बिलाल ने कई अदालतों में इसको लेकर याचिकाएं दायर कीं। उन्होंने कहा ‘इस मामले में एक हस्तक्षेप करने वाले के रूप में मेरा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हमारे शहर के लोग उम्मीद न खोएं कि हमें न्याय मिले, आज नहीं तो कल जरूर। लेकिन आज के फैसले ने उस विश्वास को चकनाचूर कर दिया है।’ इस हादसे में पीड़ित लोगों में बिलाल सबसे ज्यादा सक्रिय थे। वो उन कुछ पीड़ित परिवार के सदस्यों में से एक थे जिन्होंने कानूनी कार्यवाही पर नजर रखी और मामले की जानकारी के लिए कई बार मुंबई का दौरा भी किया।

10 साल की मासूम बच्ची ने गवाएं थे जान

इस बम धमाके में 10 साल की फरहीन शेख की भी मौत हो गई थी। उसके पिता लियाकत शेख जो वर्तमान में 67 साल के हो चुके हैं वो इस मामले को लेकर लगातार सक्रिय रहे। फरहीन नाश्ता लेने के लिए घर से बाहर निकली थी। घटना के बाद से ही शेख कई दफा मुंबई भी गए और अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग करते हुए अनगिनत धरना-प्रदर्शनों में भाग लिया। लियाकत ने कहा, ‘इस फैसले ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया है। उन्हें बहुत निराशा हुई है। मैं अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हूं। ऐसे फैसलों के बाद, मुझे कभी-कभी लगता है कि मुझे कभी शांति नहीं मिलेगी।’

रेहान शेख भी इस मामले में पीड़ित हैं। बम धमाके में 42 साल के उनके पिता शेख रफीक भी मारे गए थे। रेहान ने बताया कि पिता की अनुपस्थिति और मां की बीमारी की वजह से उनके जीवन में पूरा खालीपन रहा। जिस वजह से उन्हें जल्दी काम शुरू करने पर मजबूर होना पड़ा। मौजूदा समय में मालेगांव-मुंबई-मालेगांव रूट पर बस कंडक्टर के रूप में रेहान कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि उनके पिता की मौत ने उनकी बेफिक्री भरी ज़िंदगी में उथल-पुथल मचा दी थी। धमाके के दौरान शेख रफीक रात का भोजन करने के बाद पान खाने के लिए बाहर निकलते समय हुआ था।