अतीक-अशरफ हत्याकांड मामले में पांच पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गयी है। शाहगंज एसओ अश्विनी कुमार सिंह सहित इन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। एसआईटी ने मंगलवार (18 अप्रैल) को एसओ समेत सभी पुलिस कर्मियों से पूछताछ की थी जिसके बाद एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।
थाना प्रभारी अश्विनी कुमार सिंह सहित दो कॉन्स्टेबल और दो सब-इंस्पेक्टर सस्पेंड कर दिए गए हैं। यह फैसला मंगलवार (18 अप्रैल) को सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के तबादले के आदेश के एक दिन बाद आया है। वह 15 अप्रैल की रात प्रयागराज के काल्विन अस्पताल के बाहर मौजूद थे जिस वक्त अतीक-अशरफ पर हमला किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हत्याओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल का गठन किया है जो दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। अतीक-अशरफ की हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया गया है।
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे हैं कई सवाल
अतीक अशरफ की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की भूमिका पर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने मेडिकल चेकअप के लिए देर रात अस्पताल लाए जाने के सवाल पर कहा कि अतीक अहमद अत्यधिक मधुमेह (Diabetes) और हाइपर टेंशन के मरीज थे।
Atiq Ahmed News: Atiq Ahmed की मौत के बाद पीड़ितों ने Media से साझा की अपनी कहानी!| Supreme Court | VIDEO
सूत्रों के मुताबिक अतीक और अशरफ को शुक्रवार शाम को भी मेडिकल जांच के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जाया गया था। अधिकारी ने कहा, “शनिवार की सुबह, जब अतीक अहमद ने कुछ बेचैनी की शिकायत की तो हमने लॉक-अप में एक डॉक्टर से मिलने को बुलाया था’ यूपी पुलिस के सूत्रों ने कहा कि आरोपी को अस्पताल ले जाना हमेशा जरूरी नहीं होता है, गंभीर और संवेदनशील मामलों में डॉक्टर को लॉक-अप में ही बुलाया जाता है। इस मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया?
- मीडिया को क्यों अतीक और अशरफ के करीब आने दिया गया? फर्जी आईडी और माइक के साथ आए पत्रकारों की पहचान करना पुलिस का काम था। ऐसा क्यों नहीं किया गया?
- इतना फ्री माहौल क्यों दिया गया कि हमलावर अतीक अहमद के इतना करीब पहुंच गए, जब किसी आरोपी की हत्या पुलिस कस्टडी में होती है तो यह शासन पर सवालिया निशान है।
- जिस तरह हमलावरों ने सरेंडर किया उसे देखकर लगता है कि बात उससे बहुत ज़्यादा आगे की है जितना हम समझ पा रहे हैं।
- हमलावर गरीब पृष्ठभूमि के हैं, लेकिन वे तुर्की की बंदूकों का इस्तेमाल कर रहे थे, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 7 लाख रुपये थी, प्रत्येक राउंड की कीमत 250 रुपये थी। उनकी फायरिंग से पता चलता है कि वह शार्प शूटर थे।