सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को संसद के निचले सदन से निष्कासित किये जाने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर बुधवार को लोकसभा महासचिव से जवाब मांगा। कोर्ट ने लोकसभा महासचिव से कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकसभा से उनके निष्कासन को चुनौती देने वाली महुआ मोइत्रा की याचिका पर दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने बुधवार को महुआ की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी लोकसभा कार्यवाही में हिस्सा लेने की मांग वाली याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कोर्ट इस स्तर पर महुआ मोइत्रा की उस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार करती है, जिसमें उनके जरिए लोकसभा कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत देने की मांग की गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने मोइत्रा की सदन की कार्यवाही में शामिल होने देने की अंतरिम याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा कि इसकी अनुमति देना मुख्य याचिका को स्वीकार करने के समान होगा।
SC ने लोकसभा महासचिव से मांगा जवाब
जस्टिस खन्ना ने महुआ मोइत्रा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी से कहा कि हम अंतरिम राहत की आपकी याचिका पर मार्च में सुनवाई करेंगे। शीर्ष अदालत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोकसभा की आचार समिति को नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि वह केवल लोकसभा महासचिव से जवाब मांगेगी। मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों को पक्ष बनाया था।
मार्च में होगी मामले की सुनवाई
लोकसभा महासचिव की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया जाए और वह महुआ मोइत्रा की याचिका पर जवाब दाखिल करेंगे। मेहता ने कहा कि अदालत को राज्य के अनुशासन संबंधी आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके बाद पीठ ने आदेश पारित किया और आगे की सुनवाई मार्च में करने पर सहमति जताई।
गौरतलब है कि लोकसभा में 8 दिसंबर 2023 को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तृणमूल कांग्रेस सांसद मोइत्रा को अनैतिक आचरण’ के लिए सदन से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा था जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया था। लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में अनैतिक आचरण का दोषी पाया था और उन्हें सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।