भारत की सबसे बड़ी मुसीबतों में जातिवाद और सांप्रदायिकता शुमार हैं। इन्हीं के चलते आज भी दूसरे धर्म या दूसरी जाति में शादी (Intercast Marriage) आज भी समाज में स्वीकार्य नहीं है। युवा पीढ़ी के अधिकांश लोग ऐसा करना चाहते हैं लेकिन उनके परिवार इसके लिए राजी नहीं होते। इसी के चलते देश में ऑनर किलिंग जैसे मामले भी सामने आते हैं। कई बार खाप पंचायतें या गांव के लोगों का समूह भी ऐसी सख्त सजा सुनाता है, जिसे सुनकर भी रूह कांप जाती है। जबकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दूसरे धर्मों और जातियों में विवाह के समर्थक थे। वे इसे एकजुट भारत का बड़ा मंत्र मानते थे।
‘हरिजन’ में लिखी थी ये बात: गांधी के कई लेख और उन्हें जानने वाले बताते हैं कि एक वक्त गांधी ने यह फैसला भी किया था कि वे उसी शादी में जाएंगे जहां लड़का या लड़की दोनों में से कोई एक दलित हो। अपने समाचार पत्र ‘हरिजन’ में उन्होंने यह भी लिखा है, ‘मैं अपने प्रभाव में आने वाली सभी सवर्ण लड़कियों को सलाह देता हूं कि उन्हें चरित्रवान हरिजन युवकों को पति के रूप में चुनना चाहिए। समय के साथ इस तरह के विवाह बढ़ेंगे और इससे समाज को फायदा होगा।’
धार्मिक संकीर्णता पर गांधी का प्रहारः गांधी ने लिखा है, ‘भविष्य में जो धर्म संकुचित रहेगा, बुद्धि और बदलाव की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा उसका अस्तित्व धीरे-धीरे पतन की ओर बढ़ेगा। हिंदू धर्म संकुचित नहीं है। जिस धर्म को राग-द्वेष से मुक्त विद्वान संतों ने अपनाया और जिसे मन-मस्तिष्क स्वीकार करे, वही अच्छा धर्म है।’
धर्मांतरण पर गांधी के विचारः इन दिनों देश में लव जिहाद का मसला काफी विवादों में है। कहीं हिंदू शादी के लिए मुस्लिम बन रहा है तो कहीं मुस्लिम, हिंदू बनकर शादी कर रहा है। गांधी इसके सख्त खिलाफ थे। उन्होने लिखा था, ‘मैं स्त्री-पुरुष किसी के भी सिर्फ विवाह के लिए धर्म बदलने के समर्थन में नहीं हूं।’
गांधी के सपने पर दुनिया कितनी खरीः गांधी के इन विचारों पर चलने में अब भी दुनिया पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। देश में कई प्रतिष्ठित और शिक्षित परिवारों में भी लोग अब तक अंतर-जातीय या अंतर-धर्मीय विवाहों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। इसके चलते बच्चों का मां-बाप और परिवार से नाता टूट जाता है, वहीं कुछ मामलों में जघन्य अपराध भी अंजाम दिए जाते हैं।