मुंबई में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के चलते शहर की सड़कों पर पानी भर गया है। बारिश के चलते स्कूल-कॉलेज और कई दफ्तर बंद करने पड़े, लोकल ट्रेनें रद्द हुईं और सैकड़ों उड़ानों पर असर पड़ा। भारी बारिश और सड़कों पर भरे पानी के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मुंबई के स्लम में रहने वाले लोग भी घरों में पानी घुसने की वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं।

मीठी नदी के निचले इलाकों में बसी झुग्गियों में रहने वालों के लिए मंगलवार की सुबह का समय दहशत और तनाव से भरा रहा। सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात मुंबई में मूसलाधार बारिश हुई। लगातार दो दिनों तक 200 मिमी से ज़्यादा बारिश के कारण, मीठी नदी का जलस्तर मंगलवार सुबह 3.9 मीटर तक बढ़ गया। नदी में उफान आने और क्रांति नगर के पास एक प्रमुख नाले के उफान पर आने से कुर्ला में हवाई अड्डे की जमीन के पास निचले इलाकों की सड़कें जलमग्न हो गईं।

कुर्ला के क्रांति नगर में कमर तक पानी

कुर्ला के क्रांति नगर निवासी रात भर यह देखते रहे कि कहीं पानी उनके घरों में तो नहीं घुस गया। स्थानीय निवासी गौतम ने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा, “सुबह 7 बजे तक पानी हमारे घर में घुसने लगा और कुछ ही घंटों में कमर तक पानी भर गया। जल्द ही बीएमसी ने घोषणाएं शुरू कर दीं और हम अपने घरों से बाहर निकल आए। यह इलाका बाढ़ की चपेट में रहता है लेकिन आमतौर पर पानी कुछ ही घंटों में उतर जाता है पर इस बार स्थिति बहुत खराब थी।”

‘गलियां सांपों से भरी हैं, मेरे बच्चे यहां कैसे चल पाएंगे?’ दिल्ली के रिहायशी इलाके में पानी भरने के बाद बोली मां

एहतियाती कदम उठाते हुए, बीएमसी और मुंबई पुलिस ने निकासी अभियान शुरू किया और झुग्गी बस्ती के 350 से अधिक निवासियों को पास के मगनदास नाथूराम स्कूल में शिफ्ट किया। नंदा परमार, जिनके 12 सदस्यों का परिवार समय रहते बच गया, उन्होंने कहा कि मंगलवार सुबह 8 बजे तक पानी उनके घर में घुस गया था। हमने घर का दरवाज़ा बंद नहीं किया, बस जान बचाकर भागे।

बीएमसी और एनडीआरएफ की टीमों ने स्थानीयों को बाहर निकाला

मंगलवार दोपहर तक नदी का जलस्तर 3.6 मीटर तक कम हो गया था, फिर भी बीएमसी और एनडीआरएफ की टीमें तैयार रहीं और निवासियों ने मंगलवार रात को नगर निगम के स्कूल में शरण ली, जहां उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराया गया। बुधवार को, जब पूरे क्षेत्र में बारिश कम हुई और बाढ़ का पानी कम हुआ, तो निवासी क्रांति नगर स्थित अपने घर लौटे तो देखा कि उनका सामान नाले के पानी में डूबकर खराब हो गया है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों ने अपना पूरा दिन अपने घरों की सफाई, अपना सामान और राशन इकट्ठा करने में बिताया।

घुटनों तक पानी घुस जाने से घर का राशन, कपड़े और फर्नीचर बर्बाद

15 सालों से इस इलाके में रह रहे सुनील कुमार ने बताया कि घुटनों तक पानी घुस जाने से उनके घर का राशन, कपड़े और फ़र्नीचर बर्बाद हो गया। अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहने वाले कुमार ने कहा, “हमारे घर के बाहर पानी कंधे तक भर गया था, जिससे बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया था। मेरे बच्चे बहुत छोटे हैं ऐसे में बीएमसी कर्मचारियों ने उन्हें बचा लिया।”

2005 में 26 जुलाई को आई भीषण बाढ़ के बाद से, बीएमसी बाढ़ से बचाव के उपाय के तौर पर मानसून से पहले मीठी नदी से हर साल गाद निकालने का काम करती है। हालांकि, इस साल ईडी द्वारा मीठी नदी से गाद निकालने के घोटाले की चल रही जांच के कारण नगर निगम यह काम पूरा नहीं कर सका। पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल