महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की। उन्होंने उनकी तारीफ और आलोचना के साथ संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कहा कि ,”मैंने देवेंद्र फडणवीस से काफी कुछ सीखा है, मैं  उनको कभी विरोधी नेता नहीं समझूंगा। इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ” अगर आप लोगों ने भी समन्वय बनाए रखा होता तो यह बीजेपी-शिवसेना का अलगाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि फडणवीस हमेशा मेरे अच्छे दोस्त रहे हैं और आगे भी हमेशा वह मेरे अच्छे दोस्त रहेंगे। मैं आपको विरोधी नेता नहीं बल्कि जिम्मेदार नेता कहूंगा।

उद्धव ठाकरे के इस बयान के कई सियासी मायने हैं। वह उद्धव से अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों संबंधों को खराब नहीं करना चाहते हैं। वह भविष्य में भी विकल्प जिंदा रखना चाहते हैं।

उद्धव ठाकरे ने सियासी संभावनाओं के मद्देनजर तोलमोल कर यह बयान दिया है क्योंकि ठाकरे  भी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि राज्य में तीन दलों के बीच हुए  बेमेल गठबंधन की सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी या नहीं। माना जा रहा है शिवसेना प्रमुख ने फडणवीस की तारीफ कर आगे भी बीजेपी के साथ सियासी संभावनाओं के द्वार खुले रखने का इशारा किया है। सियासी हलकों में इस बात की भी चर्चा रही है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार लंबी नहीं चल सकती है।

दरअसल, कर्नाटक में पिछले साल  कांग्रेस ने  जेडीएस को  समर्थन देकर  कुमारस्वामी की सरकार बनवाई थी ताकि बीजेपी को सत्ता से दूर रखा जा  सके लेकिन इस गठबंधन में अक्सर खींचतान की खबरें आती रही थीं। कई अन्य राज्यों  और केंद्र की सरकार में भी कई मौकों पर कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस लिया है इससे सरकारें गिरी हैं और चुनाव कराए गए हैं।

हालांकि बीजेपी की सियासी घेराबंदी की वजह से  17 विधायकों ने इस साल जुलाई  में इस्तीफा दे दिया जिसकी वजह से कुमारस्वामी की सरकार गिर गई। सरकार गिरते ही दोनों दलों की राहें भी जुदा हो गईं। ऐसे में उद्धव का फडणवीस की तारीफ करना और अपने हिंदूवादी ऐजेंडे पर बरकरार रहने का ऐलान करना इस बात के साफ संकेत देते हैं कि भविष्य में जरूरत पड़ी  तो दोनों भगवाधारी पार्टियांं फिर से एकजुट हो सकें। इसके अलावा हाल ही में खबर आई थी कि उपमुख्यमंत्री पद के लिए भी पार्टियों के बीच सियासी खींचतान जारी है इसके अलावा मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर भी पार्टियों के भी रजामंदी नहीं हो पाई है।