Maharashtra Results 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आ जाएंगे। इस चुनाव में वैसे तो मुख्य लड़ाई महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच है लेकिन कुछ छोटे दल भी अहम साबित हो सकते हैं। ये छोटे प्लेयर्स कई बड़े दलों का खेल खराब कर सकते हैं। इनमें से एक समाजवादी पार्टी है। महाराष्ट्र में सपा के सबसे बड़े नेता अबू आसिम आजमी हैं और वे इस बार अपने राजनीतिक करियर का सबसे मुश्किल चुनाव लड़े हैं।
अबू आसिम आजमी इस बार मनखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस सीट के अलावा पहले वे भिवंडी सीट से भी जीत चुके हैं। आजमी का इन दोनों ही सीटों पर अच्छा खासा राजनीतिक जनाधार माना जाता है क्योंकि यहां उत्तर भारत से आए अल्पसंख्यक समाज के लोगों की बड़ी तादाद रहती है और अबू आजमी उनके एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं।
अबू आजमी के सामने हैं इस बार नवाब मलिक की चुनौती
भले ही अबू आजमी के लिए मनखुर्द शिवाजी नगर एक सेफ सीट रही हो लेकिन इस बार मुकाबला कांटे का हो सकता है। इसकी वजह यह है कि अजित पवार गुट की एनसीपी ने नामांकन के आखिरी वक्त में इस सीट से अपने विवादित और कद्दावर चेहरे नवाब मलिक को चुनावी मैदान में उतार दिया था। नवाब मलिक ने आक्रामकता के साथ अपना कैंपेन किया था।
नवाब मलिक को टिकट मिलने पर भी हुआ था विवाद
नवाब मलिक को टिकट देने के मुद्दे पर महायुति में भी काफी टकराव हुआ था क्योंकि बीजेपी और शिवसेना के शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने नवाब मलिक के खिलाफ पिछले 5 सालों में काफी कैंपेन किया था। उनके कनेक्शन अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से होने तक के दावे किए गए थे। ऐसे में पहले तो अजित पवार ने महायुति के भीतर ये संकेत दिया कि नवाब मलिक को एनसीपी टिकट नहीं देगी।
Maharashtra Assembly Election 2024 Exit Poll Results
महायुति के नेता मलिक की बेटे को टिकट देने पर कुछ सहज दिखे थे। वहीं नामाकंन के आखिरी घंटे में नवाब मलिक को मनखुर्द शिवाजी नगर से टिकट देकर अजित पवार ने यह संकेत दे दिया था कि वे नवाब मलिक का साथ नहीं छोड़ेगे। इसके चलते महायुति में खटास होने तक की खबरें चलने लगी थीं। हालांकि इस पूरे विवाद ने अबू आजमी के लिए चुनावी लड़ाई सबसे मुश्किल कर दी थी।
1993 बम ब्लास्ट मामले में जेल जा चुके हैं अबू आजमी
महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के मुखिया अबू आजमी 1993 के बम धमाकों के बाद चर्चा में आए थे। उन पर यह आरोप भी लगे थे कि उन्होंने धमाकों के आरोपी एक शख्स को हवाई टिकट मुहैया कराई थी। अबू आजमी को आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाते हुए टाडा के तहत गिरप्तार किया गया था। वे 2 साल जेल में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1995 में जेल से बाहर निकले और तभी उनकी राजनीति में एंट्री हुई।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मुंबई के उत्तर भारतीय मुस्लिम समुदाय के बीच उनके मजबूत समर्थन को ध्यान में रखते हुए 1995 में आज़मी को पार्टी का महाराष्ट्र अध्यक्ष नियुक्त किया था। 1995 में महाराष्ट्र में सपा ने पहली बार चुनाव लड़ा था और तीन सीटें भी जीती थीं लेकिन पार्टी के विधायकों का अबू आजमी के साथ टकराव हुआ तो सबने पार्टी छोड़ दी थी।
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मुलायम सिंह यादव की कृपा का अबू आजमी को मिला फायदा
हालांकि दलबदल के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने हम कदम पर, अबू आजमी का साथ दिया था। उन्हें पार्टी ने 2002 में राज्यसभा भेजा था। उन्होंने 2004 में विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2009 में उन्होंने भिवंडी और मनखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव लड़ा और दोनों ही सीटों से जीत दर्ज की और तब से इन दोनों सीटों पर सपा की पकड़ काफी मजबूत है।
बेबाक बयानों के चलते बने बड़े नेता
अबू आजमी अपनी आक्रामक बयानों से लेकर बेबाक बयानों के लिए सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। इसके चलते उन्हें महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा ध्रुवीकरण करने वाले लोगों में से एक माना गया। यही कारण है कि आज़मी उत्तर भारतीय लोगों के समर्थन के चलते काफी ताकतवर नेता बन गए। अबू आजमी को इस बार भी इस सीट पर उम्मीद यही है कि उन्हें प्रवासी उत्तर भारतीय लोगों के समर्थन का फायदा होगा।
नवाब मलिक ने किया था आक्रामक चुनावी कैंपेन
अबू आजमी ने इस विधानसभा चुनाव में काफी आक्रामक कैंपेन किया, जबकि उनके प्रतिद्वंदी नवाब मलिक ने सबसे ज्यादा ड्रग्स के मुद्दे पर घेरा था। चुनावी कैंपेन के दौरान ही नवाब मलिक ने अबू आजमी के खिलाफ आरोप लगाया था कि वे ड्रग्स का धंधा करने वालों का समर्थन करते हैं, जो कि इलाके के लिए बेहद ही खतरनाक है।
अब यह देखना होगा इस सीट पर नवाब मलिक अजित पवार के भरोसे पर खरे उतरते हैं या फिर अबू आसिम आजमी अपने राजनीतिक करियर का सबसे मुश्किल चुनाव जीतने में कामयब होते हैं। अबू आजमी के सामने चुनौती महाराष्ट्र की सियासत में समाजवादी पार्टी का झंडा बचाने की भी है क्योंकि सपा सुप्रीमों ने राज्य की सियासत में पार्टी का सारा दारोमदार उन पर ही छोड़ रखा है।