Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार के साथ आने की अटकलें एक बार फिर से तेज हो गई हैं। ऐसी अटकलें इसलिए लगाई जा रही क्योंकि, बीते कई दिनों में दोनों नेता कई बार एक मंच पर दिखाई दिए हैं। एनसीपी के सूत्रों ने दावा किया कि प्रतिद्वंद्वी पार्टी के कदमों का मुख्य उद्देश्य लोकल बॉडी इलेक्शन से पहले चल रहे आंतरिक मतभेदों को दूर करना है।

एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यह जरूरी है कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रहे, खासकर लोकस बॉडी इलेक्शन के करीब आने के साथ। यह उनकी रणनीति का एक हिस्सा है।’ पवार ने 7 मई को इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अजित के साथ हाथ मिलाने के सवाल पर कहा, ‘पार्टी में दो तरह के विचार हैं। एक यह है कि हम अजित के साथ फिर से जुड़ जाएं, जबकि दूसरा कहता है कि हमें सीधे या परोक्ष रूप से बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहिए।’

शरद पवार का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लोकल बॉडी चुनाव कराने का रास्ता साफ करने के दो दिन बाद आया है। यह दावा करते हुए कि अजीत और उनके समर्थकों को 2014 में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। नेता ने कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन वार्ता करने की इजाजत दी गई थी। एनसीपी नेता ने कहा, ‘कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं बताया गया था, लेकिन अंतिम समय में यह बात नहीं बन पाई। इसी तरह, पवार अपने नेताओं को संदेश दे रहे हैं कि उन्हें इंतजार करना चाहिए और अभी कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।’

कहां से शुरू हुई सुगबुगाहट

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद पवार की पार्टी के 10 में से कम से कम 4 तो फिर से पार्टी के विलय के पक्ष में है। एनसीपी विलय की सुगबुगाहट पहली बार तब सामने आई जब कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के साथ विपक्षी महा विकास अघाड़ी का एक साथी एनसीपी (SP) पिछले साल के विधानसभा चुनावों में 86 सीटों में से केवल 10 जीतने में कामयाब रहा। बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी से मिलकर सत्तारूढ़ महायुति ने राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटें जीतकर जोरदार वापसी की। शरद पवार की एनसीपी की हार लोकसभा चुनावों में 10 सीटों में से आठ जीतने के चार महीने बाद हुई।

संजय राउत का शरद पवार पर तंज

सुप्रिया सुले ने क्या कहा?

शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि वह कोई भी फैसला लेने से पहले पार्टी वर्करों से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगी, लेकिन एनसीपी (SP) के एक विधायक ने कहा कि यह फिर से जुड़ना उतना आसान नहीं होगा, जितना माना जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस को एक नेता ने कहा, ‘अजीत के साथ एकजुट होने का मतलब राज्य और नेशनल लेवल पर बीजेपी का समर्थन करना होगा। पवार विपक्ष के एक प्रमुख नेता हैं। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमें इंतजार करना चाहिए।’

एनसीपी के दोनों गुट पहले से ही साथ थे – संजय राउत

चाचा और भतीजे के एक साथ फिर से आ जाने से सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी गठबंधन में अन्य दलों को चिंता में डाल दिया है। वहीं इस मामले पर फडणवीस ने कोई भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया। शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि एनसीपी के दोनों गुट पहले से ही एक साथ थे। राउत ने कहा, ‘वे हमारे जैसे नहीं हैं। हमारा स्वाभिमानी रुख उन लोगों के साथ हाथ मिलाने का नहीं है जिन्होंने हमारी पार्टी को तोड़ा, सरकार को गिराया, सत्ता का दुरुपयोग किया और महाराष्ट्र की पीठ में छुरा घोंपा।’ क्या महाराष्ट्र की राजनीति में भतीजे अजित पवार से हार गए हैं शरद पवार?