शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के बीच सुलह की चर्चा जोरों पर है। इस बीच महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत (जो उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना से हैं) ने मंगलवार को मुंबई में राज से उनके आवास पर मुलाकात की। पिछले साल नवंबर में हुए राज्य विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उदय सामंत और राज ठाकरे के बीच यह चौथी मुलाकात थी।
राज और एकनाथ शिंदे की मुलाकात
पिछले महीने एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की थी। इसके बाद इस साल के अंत में होने वाले बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और राज्य के अन्य नगर निकायों के आगामी चुनावों के लिए शिवसेना और MNS के बीच गठबंधन की संभावना बढ़ गई थी। राज ठाकरे ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस से उनके आधिकारिक आवास वर्षा में मुलाकात की थी।
राज ठाकरे-उदय सामंत की मुलाकात
सत्तारूढ़ महायुति के प्रमुख नेताओं और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच इन बैठकों ने ठाकरे के चचेरे भाइयों के बीच सुलह की संभावनाओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। मंगलवार को राज ठाकरे से मुलाकात के बाद उदय सामंत ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। उन्होंने दावा किया कि उनकी यात्रा के दौरान कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
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उदय सामंत ने कहा, “मैं दादर इलाके में किसी काम से आया था और मैंने सिर्फ साहब (राज) को फोन किया था। इसलिए मैं आया और हमने कुछ घटनाक्रमों पर चर्चा की। कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई, जैसा कि अटकलें लगाई जा रही हैं। अगर बीएमसी चुनावों के बारे में कोई चर्चा होती, तो हम इसकी घोषणा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते।” उदय सामंत और राज के बीच मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) की सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने राज ठाकरे के प्रस्तावों पर सकारात्मक’ प्रतिक्रिया दी है और अब गेंद राज ठाकरे के पाले में है। संजय राउत ने कहा, “राज ठाकरे ने इसकी (सुलह की कोशिश) शुरुआत की थी और हमने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हम आज भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अब यह उन पर निर्भर है कि वे जवाब दें और हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हम राज ठाकरे का बहुत सम्मान करते हैं।”
राज ठाकरे ने दिया था सुलह के संकेत
19 अप्रैल को राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ने संभावित सुलह के संकेत देते हुए कहा था कि वे महाराष्ट्र के लोगों के व्यापक हित के लिए अपने विवादों को अलग रखने के लिए तैयार हैं। फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर के साथ पॉडकास्ट पर बात करते हुए राज ठाकरे ने तब सुलह का टोन सेट किया था और उद्धव के साथ छोटे-मोटे विवादों से आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की थी। राज ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया था कि महाराष्ट्र का हित व्यक्तिगत मतभेदों से बड़ा है।
उसी दिन शिवसेना (यूबीटी) ट्रेड यूनियन के एक कार्यक्रम में इसका जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने उनके सुलह की संभावना को स्वीकार किया और कहा कि वह मराठी लोगों और भाषा के हित में अपने मतभेदों को अलग रखने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उद्धव ने यह भी चेतावनी दी थी कि राज को भाजपा और एकनाथ शिंदे सेना जैसी ताकतों के साथ नहीं जुड़ना चाहिए, जो सेना (यूबीटी) के विरोधी हैं।
इसके बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों विदेश चले गए, जिसके बाद उनकी सुलह की कवायद ठंडे बस्ते में चली गई। 26 अप्रैल को शिवसेना यूबीटी के आधिकारिक एक्स हैंडल ने मराठी में एक संदेश पोस्ट किया, “वेल आलिये एकत्रा येन्याची”, जो दर्शाता है कि ठाकरे चचेरे भाइयों के लिए एक साथ आने का समय आ गया है। कुछ दिनों बाद संजय राउत ने भी उनके सुलह का आह्वान किया, जिसमें कहा गया कि उद्धव ने इस संबंध में अपनी इच्छा का संकेत दिया है और यह राज पर निर्भर है कि वह अपना फैसला लें।
2006 में हुआ था मनसे का गठन
उद्धव के साथ मतभेदों के बाद तत्कालीन बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना छोड़ने के बाद राज ठाकरे ने मार्च 2006 में मनसे का गठन किया था। शिवसेना की तरह, मनसे ने भी अपनी राजनीति मराठी मानुस मुद्दे पर केंद्रित की। हालांकि, मनसे कई वर्षों से राज्य में राजनीतिक वनवास में है। नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में, 288 में से 135 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद यह 1.55% वोट शेयर के साथ एक भी सीट नहीं जीत पाई। 2019 में पार्टी 2.5% वोट शेयर के साथ सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। बीएमसी चुनावों में (जो परंपरागत रूप से शिवसेना के वर्चस्व में रहे हैं) मनसे ने 2017 में 227 में से सात सीटें जीती थीं, जबकि उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (जो तब भाजपा के साथ गठबंधन में थी) 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।
उद्धव और राज के बीच रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मौके आए हैं जब उनके बीच एक सार्वजनिक बैठक से भी गठबंधन और चचेरे भाइयों के एक साथ आने की चर्चा शुरू हुई है। हालांकि उद्धव भाजपा पर राज ठाकरे के रुख से सावधान रहे हैं, जो उतार-चढ़ाव भरा रहा है।