Maharashtra Politics: महायुति सरकार की लड़ाई में एक नया मोर्चा खुल गया है। सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि उन्होंने सरकार के शपथ ग्रहण के तीन महीने बाद मंत्रियों के लिए ओएसडी और पीए के नामों को आखिरकार मंजूरी दे दी है। सीएम ने कहा कि पीए और ओएसडी के लिए मंत्रियों की तरफ से प्रस्तावित 125 उम्मीदवारों में से सीएमओ ने 109 को मंजूरी दे दी है। अलग-अलग कारणों से 16 नामों को रोक दिया गया है। इनमें उनके खिलाफ चल रही जांच, खराब ट्रैक रिकॉर्ड या उनके खिलाफ फिक्सर होने का टैग शामिल है।

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘मैं दागी उम्मीदवारों को मंजूरी नहीं दूंगा। मैं फिक्सरों की नियुक्ति की इजाजत नहीं दूंगा। भले ही इस तरह के फैसले से किसी को ठेस पहुंचे, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगा।’ महायुति विवाद से हमेशा दूर रहने वाले शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने दावा किया कि खारिज किए गए सभी नाम गैर-बीजेपी मंत्रियों द्वारा सुझाए गए थे। वरिष्ठ एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे ने तंज कसा कि उनके जैसे मंत्री अपनी पसंद के पीए और ओएसडी भी नियुक्त नहीं कर सकते।

ओएसडी और पीए की नियुक्ति कैसे होती है?

एक मंत्री को एक पीए और तीन ओएसडी समेत 35 स्टाफ सदस्य रखने का अधिकार है। उन्हें जीएडी के जरिये सीएमओ की मंजूरी से नियुक्त किया जाता है। इसका नेतृत्व सीएम के द्वारा किया जाता है। नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति सरकारी होने चाहिए, जिनकी कम से कम ग्रेजुएशन हो, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड हो, साथ ही उन्हें प्रशासनिक अनुभव और कम्युनिकेशन स्किल भी हो।

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फडणवीस की टिप्पणी से हंगामा क्यों मचा?

मुख्यमंत्री द्वारा 16 नामों को खारिज करने व इस संबंध में कड़ा संदेश देने की बात ऐसे वक्त में आई है, जब उनके और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उनकी संबंधित पार्टियों बीजेपी और शिवसेना के बीच तनाव बढ़ रहा है। एनसीपी के कोकाटे ने तीन महीने के इंतजार के बारे में चुटकी लेते हुए कहा कि मंत्रियों के लिए बहुत कम भूमिका बची है। यहां तक ​​कि पीए-ओएसडी की नियुक्तियां भी सीएमओ द्वारा की जा रही हैं। हमें बस काम करना है या फिर अपना पद खोने का जोखिम उठाना है। कृषि मंत्री कोकाटे को भी हाल ही में नासिक सेशन कोर्ट ने 1995 में मुख्यमंत्री के लो इनकम कैटेगरी के लिए 10 फीसदी विवेकाधीन कोटे के तहत दो फ्लैट हासिल करने के लिए दस्तावेजों में छेड़छाड़ करने के आरोप में दोषी ठहराया है। मामला कोर्ट में लंबित है, जिसमें कोकाटे अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने साधी चुप्पी

शिंदे और अजित पवार दोनों ने ही इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने बुधवार को सामना में लिखा कि पीए और ओएसडी के खिलाफ डंडा चलाने का फडणवीस ने सही काम किया है। जिन 16 उम्मीदवारों के नामों पर मंजूरी नहीं दी गई है उनमें से ज्यादा शिवसेना के हैं। शिवसेना के सदस्यों के 13 नामों को खारिज कर दिया गया है और एनसीपी के तीन नाम खारिज किए गए हैं।

एक अधिकारी की तरफ से कहा गया कि जिन मंत्रियों की सिफारिशें खारिज की गई हैं, वे शायद ही विरोध कर पाते। 2021 में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के पीए संजीव पलांडे को गिरफ्तार किया गया था। ईडी भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अधिकारी की जांच करना चाहता था। एनसीपी विधायक अमोल मिटकरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें खुद एक पीए ने काम करवाने के लिए 5 लाख रुपये देने को कहा था।

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महायुति में फडणवीस के फैसले को किस तरह देखा जा रहा?

एक शिवसेना के मंत्री ने इस बात को माना है कि पीए और ओएसडी के बारे में फडणवीस के बयान से यह इशारा मिलता है कि वे संदिग्ध विकल्पों को खारिज कर रहे हैं, जिससे एक कड़वाहट पैदा हुई है। उन्होंने कहा, ‘हम भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन किसी भी गठबंधन सरकार में, अगर गठबंधन सहयोगियों की शक्तियों को कम किया जाता है, तो यह सवालिया निशान खड़ा करता है। इसके अलावा, हर मंत्री को अपने पीए और ओएसडी को ढांचे के अंदर तय करने का अधिकार होना चाहिए। आप अपने उम्मीदवारों को उन पर नहीं थोप सकते।’