महाराष्ट्र में फाइनेंस मिनिस्ट्री का कार्यभार संभालते ही राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपनी पार्टी के विधायकों पर ‘धनवर्षा’ कर दी है। अजित पवार ने अपने साथ आए NCP के विधायकों की विधानसभा में 25 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा के विकास कार्यों के लिए धन का आवंटन किया है। इस आवंटन के लिए सप्लीमेंट्री डिमांड्स में स्पेशल प्रोविजन किया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अजित पवार ने एकनाथ शिंदे कैंप के विधआयकों को भी खुश करने की कोशिश की है। उन्होंने शिवसेना के विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए धनराशि जारी की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले हफ्ते विभागों का बंटवारा होते ही अजित पवार ने अपने साथ आए विधायकों के क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए फंड जारी किया। इससे पहले अजित समर्थक NCP विधायकों से विकास कार्यों की लिस्ट मांगी गई थी। पिछले हफ्ते ही फाइनेंस डिपार्टमेंट ने महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में सप्लीमेंट्री मांगें प्रस्तुत कीं, जिसमें विकास कार्यों के लिए 1,500 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया गया।
बता दें कि एनसीपी में दो फाड़ के समय से ही अजित गुट की तरफ से विकास कार्यों के लिए धन की बात कही जा रही थी। शरद पवार से मुलाकात के दौरान अजित गुट ने सरकार में शामिल होने के लिए यही वजह भी बताई है।
अजित पवार ने अपनी पार्टी के विधायकों के लिए 25 से 50 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, देवलाली की विधायक सरोज अहीर के क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 40 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। सरोज अहीर पहले शरद पवार के साथ थीं लेकिन अब मिली जानकारी के अनुसार, फाइनेंस मिनिस्ट्री से फंड जारी होते ही वो अजित पवार के समर्थन में आ गई हैं।
शरद पवार से बगावत के बाद अजित पवार गुट पर जयंत पाटिल और जितेंद्र आव्हाण लगातार हमला कर रहे हैं। हालांकि अजित ने सभी को चौंकाते हुए जयंत पाटिल के क्षेत्र से जुड़े विकास कार्यों के लिए भी फंड दिया है लेकिन जितेंद्र आव्हाण अभी वेटिंग लिस्ट में नजर आ रहे हैं।
शिंदे गुट ने किया था विरोध
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने अजित पवार को फाइनेंस मिनिस्ट्री देने का विरोध किया था। शिंदे गुट का दावा था कि MVA की सरकार के दौरान अजित उनके क्षेत्रों में विकास के लिए फंड जारी नहीं करते थे और इसी वजह से उन्होंने उद्धव ठाकरे से बागवत की थी। हालांकि अब अजित पवार ने शिंदे गुट के विधायकों के लिए फंड जारी करके सभी का दिल जीतने की कोशिश की है।
कांग्रेस-एनसीपी सरकार में शुरू हुई प्रथा
फंड जारी करके विधायकों को लुभाने की यह प्रथा एनसीपी-कांग्रेस सरकार में शुरू हुई थी। तब विलासराव देशमुख की सरकार सत्ताधारी पार्टी के विधायकों के क्षेत्रों के लिए 5 से 10 करोड़ रुपये जारी करती थी। उस समय बीजेपी और शिवसेना ने ना सिर्फ इसका विरोध किया था बल्कि कोर्ट में इसे चैलेंज भी किया था।
साल 2014 में फडणवीस सरकार के आगमन के बाद बीजेपी-शिवेसना के विधायकों इस तरीके से फंड जारी किया गया था। 2019 में MVA के आने पर यही काम शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस विधायकों के लिए हुआ। तब भी देवेंद्र फडणवीस ने इसका विरोध किया था। एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के बाद बीजेपी और शिंदे कैंप के क्षेत्रों के लिए जारी होने वाले फंड की माभा बढ़ गई।