महाराष्ट्र में बीते 5 साल में दोगुने से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है। पिछले साल तो औसतन हर दिन 7 किसानों ने खुद को मौत के गले लगा लिया था। यही नहीं किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की संख्या घट गई है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी सामने आई है। आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद ने महाराष्ट्र सरकार से इसकी जानकारी मांगी थी।

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव हैं और चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी तरह-तरह के वादे कर रही है लेकिन राज्य के किसानों को लेकर कोई विशेष योजना नजर नहीं आ रही। राज्य सरकार के आरटीआई जवाब से पता चला है कि महाराष्ट्र में 2015 से 2018 के बीच 12,021 किसानों ने आत्महत्या की।

आरटीआई के मुताबिक 2013 में जहां 1296 खुदकशी के मामले सामने आए थे तो वहीं 2018 में यह संख्या 2761 तक पहुंच गई। साफ है कि 2013 के मुकाबले 2018 में खुदकुशी करने वाले किसानों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई। पिछले साल पिछले साल हर दिन 7 किसानों ने खुदकुशी की। बात करें मुआवजे की तो सरकार ने इसकी संख्या को भी घटा दिया। 2014 में जहां मृतक किसानों के परिवारों को 1358 मुआवजे जारी किए गए तो वहीं 2018 में मृतक किसानों के परिवारों को 1316 को मुआवजे जारी किए गए।

2015 में महाराष्ट्र में कुल 3,263 किसानों ने आत्महत्या की। अगले साल यह संख्या 3,080 थी और 2017 में कुल 2,917 किसानों ने खुद को मौत के गले लगा लिया। 2018 यानि कि पिछले साल राज्य में 2,761 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज हुए। आंकड़ों से साफ है कि पिछले 4 वर्षों में औसतन प्रतिदिन 8 किसानों ने आत्महत्या की।

वहीं आरटीआई में यह भी सामने आया है कि 2015 के बाद से किसानों की आत्महत्या के मामलों गिरावट आई है। 2015 में 3263 आत्महत्या के मामले सामने आए तो वहीं 2018 में यह आंकड़ा घटकर 2761 हो गया। बात करें 2019 की तो इस साल 1 जनवरी और 28 फरवरी के बीच महाराष्ट्र में कुल 396 किसानों ने खुदकुशी की। यानि कि इस वर्ष के पहले दो महीनों में हर दिन औसतन 6 किसानों ने खुदकुशी की। इनमें से ज्यादातर आत्महत्याएं अमरावती (144), औरंगाबाद (129), नासिक (83), नागपुर (25) और पुणे (15) में हुईं।