कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने पार्टी में मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया है। महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बनने वाली समितियों में मुसलमानों के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि पार्टी नेतृत्व मुस्लिम बहुल इलाकों में मुसलमान नेताओं को नजरअंदाज करते हुए औरों को चुनाव लड़ाना चाहता है। यही वजह है कि सोमवार (15 जुलाई, 2019) को वह इस मसले पर चर्चा के लिए पार्टी के शीर्ष नेता के.सी वेणुगोपाल से मिलने पहुंचे।
दलवई ने पत्रकारों को बताया, “मुझे लगता है कि अपनी आबादी के अनुपात के हिसाब से अल्पसंख्यक समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। पार्टी की रणनीतिक समिति में सिर्फ एक ही व्यक्ति रहता है। मेरे जैसे व्यक्ति को भी कमेटी में होना चाहिए।” बकौल कांग्रेसी राज्यसभा सदस्य, “जब भी अन्य पार्टियों से चर्चा की बात आती है, तब हमें नजरअंदाज कर दिया जाता है और मुस्लिम बहुल इलाकों (सीटों) से औरों को मौका मिलता है। मैं इसी मुद्दे पर केसी वेणुगोपाल से मिलने आया, पर वह वहां नहीं थे।”
उनके मुताबिक, “हर समिति में मुस्लिमों का कम ही प्रतिनिधित्व होता है। घोषणा-पत्र वाली समिति में महज दो मुसलमानों क शामिल किया गया था। मुस्लिमों के मसले उठाना महत्वपूर्ण है। अगर आप मुस्लिमों से इतना डरे हैं, तब आपको उनके वोट क्यों चाहिए?” दलवई ने ये आरोप ऐसे समय पर लगाए हैं, जब महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति में सूबे के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को इस समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और उनकी जगह पर बालासाहेब थोराट को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
इसी बीच, आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रदेश कांग्रेस समिति ने कई समितियां गठित कीं, जिनमें हुसैन दलवई के अलावा मुजफ्फर हुसैन और आरिफ नसीम खान जाने-माने मुस्लिम नेताओं को सदस्य बनाया गया, पर दलवई का कहना है कि उन लोगों को मुख्य कमेटियों में शामिल नहीं किया गया।
बता दें कि 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर में विस चुनाव हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के पास इनमें 122, शिवसेना के पास 63, कांग्रेस के पास 42, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के खाते में 41 और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के पास महज एक सीट है।