महाराष्ट्र विधानमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई को बधाई दी। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने प्रस्ताव पेश किया और इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इसके अलावा महाराष्ट्र विधानमंडल की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने CJI को सम्मानित भी किया।

सीजेआई गवई ने किया बाबासाहेब का जिक्र

महाराष्ट्र विधानमंडल को संबोधित करते हुए सीजेआई गवई ने कहा, “बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था कि हम सभी संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं। संविधान ने तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अधिकार दिए हैं। अंबेडकर ने कहा था कि न्यायपालिका को नागरिकों के अधिकारों के प्रहरी और संरक्षक के रूप में काम करना चाहिए।”

सीजेआई गवई ने अंबेडकर का जिक्र करते हुए आगे कहा, “अंबेडकर ने कहा था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। अंबेडकर ने कहा कि संविधान शांति और युद्ध के दौरान देश को एकजुट रखेगा। अंबेडकर ने कहा कि देश पर शासन करने वालों को कड़ी मेहनत से हासिल की गई आजादी की रक्षा के लिए जाति, पंथ के मतभेदों को दूर करना चाहिए। संविधान के माध्यम से नागरिकों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय की बात कही गई।”

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महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था गवई का जन्म

सीजेआई गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को हुआ था। CJI गवई को 14 नवंबर 2003 को बंबई हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। गवई 12 नवंबर, 2005 को हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। इसके बाद उन्होंने 14 मई को भारत के 52वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। उन्होंने उस समय प्रधान न्यायाधीश रहे संजीव खन्ना के रिटायर होने के बाद यह जिम्मेदारी संभाली।

गवई के पिता रह चुके हैं राज्यपाल

बता दें कि सीजेआई गवई के पिता बड़े नेता रह चुके हैं। गवई के पिता आरएस गवई महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके है। इसके अलावा वह बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रह चुके हैं। आर एस गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई गवई) के संस्थापक थे।