Tukaram Omble Memorial: साल 2008 में हुए मुंबई हमलों में मुंबई पुलिस के जवान शहीद तुकाराम ओंबले ने हमले के एक मात्र जिंदा आतंकी अजमल आमिर कसाब को पकड़ने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। कसाब लगातार उन पर गोलियां चला रहा था लेकिन ऐके 47 की गोलियां लगने के बावजूद तुकाराम ओबले ने उस दरिंदे को नहीं छोड़ा था, नतीजा ये कि कसाब को जिंदा पकड़ा गया। तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे। महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि अब उनके सम्मान में, उनके पैतृक गांव मे उनका मेमोरियल बनाया जाएगा।

शहीद तुकाराम ओंबले को अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने बताया है कि शहीद ओंबले का स्मारक सतारा जिले में उनके पैतृक गांव केदांबे में बनाया जाएगा, जहां तुकाराम ओंबले का जन्म हुआ था।

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महाराष्ट्र सरकार ने आवंटित किए हैं 13.46 करोड़ रुपये

महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने इस स्मारक के निर्माण के लिए 13.46 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इस मंजूरी के बाद, स्वीकृत राशि की पहली किस्त 2.70 करोड़ रुपये शुक्रवार को जिला प्रशासन को निर्माण कार्य के लिए प्रदान भी कर दी गई है। बता दें कि यह स्मारक तुकाराम ओंबले की वीरता और बलिदान को सम्मानित करने के लिए बनाया जाएगा।

तुकाराम ओंबले ने कैसे कसाब को दबोचा था?

बता दें कि मुंबई पुलिस में बतौर सहायक इंस्पेक्टर तैनात रहे तुकाराम ओंबले ने सिर्फ एक लाठी के सहारे उसे पकड़ लिया था। हमले के चलते इलाके भर में अफरातफरी मची हुई थी। दूसरी ओर पुलिस की ओर से हुई फायरिंग में एक आतंकी मारा गया था और कसाब नाटक करने लगा कि वह मर गया है।

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ऐसे में मौके पर तुकाराम ओंबले के पास सिर्फ एक लाठी थी, जबकि कसाब के पास एक एके-47 थी। ओंबले ने कसाब की बंदूक की बैरल पकड़ ली थी। उसी समय कसाब ने ट्रिगर दबा दिया और गोलियां ओंबले के पेट और आंत में लगीं। ओंबले वहीं गिर गए लेकिन उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक बैरल को थामे रखा था ताकि कसाब और गोलियां न चला पाए।

इसके चलते मुंबई पुलिस के अन्य जवानों ने सावधानी से कसाब को दबोच लिया था। उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च बलिदान के लिए सम्मानित भी किया गया था।