महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना एक बार फिर तय हो गया है। भले ही गठबंधन में पिछले साल की तुलना में बेहतर प्रदर्शन ना किया हो लेकिन गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है। ऐसे में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार इस चुनाव परिणाम में शिवसेना-भाजपा गठबंधन के कम से कम 32 सीटों पर जीत में परोक्ष रूप से प्रकाश अंबेडकर की भूमिका भी काफी अहम रही है। प्रकाश अंबेडकर महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दल वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के प्रमुख हैं। भाजपा के लिए पार्टी के बागी उम्मीदवारों ने भी सीटों की संख्या कम रहने में अहम भूमिका निभाई है। वीबीए इस चुनाव में खुद एक भी सीट नहीं जीत पाई।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने 104 सीटें जीतीं। राज्य में 32 में 20 सीटें ऐसी रहीं जिनमें से बहुजन वंचित अघाड़ी (वीबीए) के वोटों की संख्या ने हार-जीत में महत्वपूर्ण अंतर पैदा किया। ऐसे में यदि यह 20 सीटें कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन जीत जाता तो विपक्ष की सीटों का आंकड़ा 124 सीट तक पहुंच जाता। ऐसे में यह संख्या बहुमत से 21 कम रहती।
यदि वीबीए विपक्ष के वोटों में सेंध नहीं लगाई होती तो भाजपा का विदर्भ में, विशेष रूप से नागपुर में प्रदर्शन और भी खराब होता। राज्य की बल्लारपुर विधानसभा सीट से भाजपा नेता और सरकार में मंत्री रहे सुधीर मुन्गंटीवार को 85,697 वोट मिले। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेसी उम्मीदवार को 52,619 वोट मिले।
यहां वीबीए उम्मीदवार के पक्ष में 39,778 वोट डाले गए। वीबीए का गठन भीमा कोरेगांव दंगे के बाद हुआ था। पार्टी ने सार्वजनिक रूप से दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों को भाजपा और शिवसेना के खिलाफ वोट करने की अपील की थी। इस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। लोकसभा चुनाव में प्रकाश अंबेडकर की इस पार्टी के कारण कांग्रेस शिवसेना गठबंधन को कम से कम आठ लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।
ऐसा नहीं था कि कांग्रेस और एनसीपी को इस बात का अनुमान नहीं था। गठबंधन जानता था कि यदि वीबीए अपने दम पर मैदान में उतरी तो विपक्ष के वोट ही बटेंगे। इसलिए कांग्रेस ने प्रकाश अंबेडकर की पार्टी के साथ गठबंधन करने का भी प्रयास किया लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ सका।