महाराष्ट्र में राजनीतिक अनिश्चितता के बीच राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राष्ट्रीय संघ सेवक प्रमुख मोहन भागवत से मंगलवार को मुलाकात की। दोनों लोगों की बीच बंद कमरे में करीब एक घंटे तक मुलाकात हुई। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि 8 नवंबर को मौजूदा विधानसभा की समयावधि खत्म हो रही है।
24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम की घोषणा और बहुमत का आंकड़ा हासिल करने के बाद भी भाजपा-शिवसेना गठबंधन के बीच सरकार गठन को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। शिवसेना जहां 50-50 के फॉर्म्यूले पर अड़ी हैं वहीं भाजपा मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं है।
इस बार भाजपा के सीटों की संख्या 122 से घटकर 105 होने के कारण शिवसेना लगातार अपनी सहयोगी पर दबाव बना रही है। शिवसेना प्रमुख पहले ही कह चुके हैं कि नई सरकार के गठन के लिए उन्होंने एनसीपी, कांग्रेस समेत अन्य सभी विकल्प खुले रखे हैं। इतना ही नहीं शिवसेना नेता संजय राउत तो साफ कह चुके हैं कि इस बार मुख्यमंत्री शिवसेना से ही बनेगा।
राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में राज्य में सरकार गठन का जो फार्म्यूला सुझाया था उसमें एनसीपी-कांग्रेस के समर्थन से शिवसेना के नेतृत्व में सरकार गठन की बात भी कही गई थी। हालांकि, एनसीपी और कांग्रेस पहले ही शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की संभावना से इनकार कर चुके हैं।
वहीं भाजपा की तरफ से बयानबाजी कम नहीं हुई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस साफ कर चुके हैं कि दोनों दलों के बीच 50-50 फॉर्म्यूले जैसी कोई बात नहीं है। पार्टी के नेता तो यह भी कह चुके हैं कि भाजपा फिर से चुनाव में जाने को तैयार है। इससे पहले शिवसेना के नेता किशोर तिवारी ने भाजपा की तरफ से गठबंधन धर्म नहीं निभाए जाने का हवाला देकर संघ प्रमुख को इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
तिवारी का कहना था कि इस संकट को हल करने के लिए भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बाचतीत वाले दल का हिस्सा होना चाहिए। इससे पहले सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी केंद्रीय मंत्री गडकरी से मुलाकात की थी।